अवध-पूर्वांचल पहुंची 2019 की लड़ाई, पार्टियों में तीखी हुई वर्चस्व की जंग

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के अभी तीन चरण की वोटिंग बाकी है. इस चरण में पूर्वांचल और अवध इलाके की सीटें हैं. इस बार के सियासी संग्राम में सपा-बसपा गठबंधन, कांग्रेस और बीजेपी तीनों बड़ी मजबूती के साथ चुनावी जंग लड़ रहे हैं. इसी के चलते पार्टियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है.

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राहुल गांधी और प्रियंका गांधी (फोटो-getty image) राहुल गांधी और प्रियंका गांधी (फोटो-getty image)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2019,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 के चार चरण की वोटिंग के बाद अब उत्तर प्रदेश की कुल 80  सीटों में से बची 41 सीटें अवध और पूर्वांचल इलाके की हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सीटें इसी क्षेत्र में है. ऐसे में अवध-पूर्वांचल का इलाका सियासी जंग के मैदान में तब्दील हो चुका है. इन्हीं इलाकों की सीटों की जिम्मेदारी कांग्रेस में प्रियंका गांधी के कंधों पर है. ऐसे में प्रियंका फ्रंट-फुट पर खेल रही हैं, जिससे सपा-बसपा, कांग्रेस और बीजेपी के बीच वर्चस्व की जंग तीखी हो चुकी है.

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के अभी तीन चरण की वोटिंग बाकी है. इनमें कुल 41 सीटें हैं. 2014 में दो सीटें कांग्रेस, एक सीट सपा और बाकी 39 सीटें बीजेपी ने जीती थी. ये सीटें पूर्वांचल और अवध इलाके की हैं. इस के बार के सियासी संग्राम में सपा-बसपा गठबंधन, कांग्रेस और बीजेपी तीनों बड़ी मजबूती के साथ चुनावी जंग लड़ रहे हैं. कोई किसी से कम अपने आपको दिखाना नहीं चाहता है.

कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा था, 'उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने चुन -चुनकर उम्मीदवार उतारे हैं, जो जीतेंगे या फिर बीजेपी का वोट काटेंगे.' इसी दिन ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बारांबकी में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के रिमोट कंट्रोल की चाबी नरेंद्र मोदी के पास है. सपा-बसपा पर नरेंद्र मोदी दबाव डाल सकते हैं, लेकिन मुझ पर नहीं है. मोदी से मैं नहीं बल्कि वह हमसे डरते हैं.

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राहुल-प्रियंका के बयान से सपा और बसपा के आलाकमान भड़क गए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बयान दिया कि कांग्रेस और बीजेपी में कोई फर्क नहीं है. कांग्रेस का जनता में कोई आधार नहीं है, इसलिए वो इस तरह के बहाना बना रही है. कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को उतारकर बीजेपी को फायदा पहुंचा रही है.

अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के उन आरोपों को भी नकारते हुए कहा था, 'हमें कोई भी नियंत्रित नहीं करता है. हम राजनीतिक दल हैं. यह सपा-बसपा-आरएलडी का गठबंधन है, जो उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल को चुनौती दे रहा है. दूसरी तरफ मायावती ने भी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी की तरह कांग्रेस भी अनाप-शनाप बकने लगी है. कांग्रेस और बीजेपी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. ये दोनों एक दूसरे को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

अखिलेश-मायावती के बयान के बाद आजतक ने प्रियंका गांधी ने शनिवार को कहा कि 'मैं यह कह रही हूं कि मैं जान दे दूंगी लेकिन बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए मदद नहीं करूंगी. मैं कभी उस विनाशक विचारधारा के साथ समझौता नहीं कर सकती. कभी नहीं, पूरी जिंदगी में नहीं. कांग्रेस ने जो भी उम्मीदवार उतारे हैं वे मजबूती के साथ लड़ रहे हैं जीतेंगे या फिर बीजेपी का वोट काटेंगे, और किसी का नहीं. मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट हूं.

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अवध-पूर्वांचल की सियासी लड़ाई में सपा-बसपा गठबंधन, कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला है. यूपी में हुए चार चरणों चुनाव में कांग्रेस भले ही मुख्य मुकाबले में न दिखी हो, लेकिन बाकी के बचे चरण में पार्टी के डेढ़ दर्जन उम्मीदवार मजबूती से लड़ रहे हैं. इनमें धौरहरा, बाराबंकी, सीतापुर, रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी, बहराइच, बांदा, फतेहपुर, सुल्तानपुर, कुशीनगर, सलेमपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, भदोही, संत कबीर नगर, बस्ती और महाराजगंज जैसी लोकसभा सीटें शामिल हैं.

इसीलिए प्रियंका के बयान पर सपा-बसपा ने पलटवार किया है. अखिलेश-मायावती इस बात को बखूबी समझते हैं कि अगर कांग्रेस के खिलाफ जवाबी हमला नहीं किया तो पूर्वांचल की सियायी लड़ाई कहीं प्रियंका बनाम नरेंद्र मोदी के बीच न सिमट जाए. कांग्रेस ने जिस तरह कई सीटों पर सपा-बसपा से आए नेताओं को चुनाव मैदान में उतारकर गठबंधन के समीकरण को पहले ही बिगाड़ दिया है. इसीलिए अखिलेश-मायावती दोनों नेता प्रियंका और राहुल के बयान से बेचैन हो गए हैं. हालांकि कांग्रेस के कैंडिडेट बीजेपी के समीकरण को भी गड़बड़ा रहे हैं.

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