मालदा उत्तर लोकसभा चुनाव 2019: 80.09% मतदान दर्ज

मालदा उत्तर लोकसभा सीट से मौजूदा कांग्रेस सांसद मौसम नूर टीएमसी में शामिल हो चुकी हैं. ममता बनर्जी ने उन्हें मालदा उत्तर से टीएमसी का कैंडिडेट बनाया है. कांग्रेस ने इस सीट से इशा खान चौधरी को टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से खगेन मुर्मू को कैंडिडेट बनाया है, जबकि सीपीएम ने विश्वनाथ घोष को टिकट दिया है.

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मतदान के लिए कतार में लगी महिलाएं (प्रतीकात्मक तस्वीर, PTI) मतदान के लिए कतार में लगी महिलाएं (प्रतीकात्मक तस्वीर, PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 के तहत पश्चिम बंगाल की कुल 21 लोकसभा सीटों में से 5 सीटों में पर 23 अप्रैल को वोट डाले गए. इन 5 संसदीय सीटों पर औसत मतदान 81.66 % दर्ज किया गया. इस चरण में शामिल प्रदेश की मालदा उत्तर सीट पर 80.09% वोटिंग दर्ज की गई. वहीं, 2014 के आम चुनाव में यहां पर 81.60% वोटिंग दर्ज की गई थी.

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इस सीट पर निर्दलीय समेत 16 कैंडिडेट मैदान में हैं. यहां से मौजूदा कांग्रेस सांसद मौसम नूर टीएमसी में शामिल हो गई हैं. ममता बनर्जी ने उन्हें मालदा उत्तर से टीएमसी का कैंडिडेट बनाया है. कांग्रेस ने इस सीट से इशा खान चौधरी को टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से खगेन मुर्मू को कैंडिडेट बनाया है, जबकि सीपीएम ने विश्वनाथ घोष को टिकट दिया है. मुख्य राष्ट्रीय  पार्टियों के अलावा इस सीट से बहुजन समाज पार्टी, शिवसेना, बहुजन मुक्ति पार्टी समेत कई निर्दलीय कैंडिडेट भी चुनाव लड़ रहे हैं.

राजनीतिक तस्वीर

साल 2009 में हुए परिसीमन में मालदा लोकसभा सीट दो हिस्सों में बंट गई. इनमें एक मालदा उत्तर लोकसभा सीट और दूसरी मालदा दक्षिण लोकसभा सीट बनीं. इस सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है. पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक दो बार ही ऐसे मौके आए जब इस सीट पर माकपा के उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे. 1971 और 1977 के आम चुनावों माकपा के दिनेश चंद्र जोरदार लगातार चुनाव जीतते रहे.

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पहले लोकसभा चुनाव 1951 में कांग्रेस के टिकट पर सुरेंद्र मोहन घोष चुनाव जीते थे. उनके बाद 1957 और 1962 के चुनावों में कांग्रेस से रेणुका राय चुनाव जीतीं. 1967 के चुनाव में कांग्रेस ने यू. रॉय को मैदान में उतारा जिन्होंने जीत हासिल की. 1971 और 1977 में कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी. इसके बाद ए.बी.ए. घनी खान चौधरी 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे. वह यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे. 2005 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के अबु हसेम खान चौधरी ने जीत हासिल की थी. 

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2014 का जनादेश

मालदा उत्तर संसदीय क्षेत्र में पूर्व रेल मंत्री और कांग्रेस नेता गनी खान चौधरी की बेटी मौसम नूर 2006 से ही सांसद हैं. 2005 में गनी खान चौधरी के निधन के बाद हुए उप चुनाव में अबु हासेमखान चौधरी लोकसभा के लिए चुने गई थे. 2009 और 2014 के लिए हुए आम चुनावों में भी उनकी बहन मौसम नूर जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. मालदा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन अब इस इलाके में सियासी तौर पर दाखिल होने के लिए बीजेपी के साथ तृणमूल कांग्रेस भी जोर आजमाइश कर रही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपना चुनावी बिगुल भी मालदा से ही फूंका. 2009 के मुकाबले 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में जो कमी देखी गई वह उसके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है.  

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