ये पुराना कर्ज है या दर्द? अनंत सिंह के जेल जाते ही 'अनंतमय' क्यों हो गए ललन सिंह

मोकामा विधानसभा सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बाहुबली अनंत सिंह के जेल जाने के बाद उनके चुनाव प्रचार की कमान केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने संभाल ली है. आखिर दुलारचंद यादव की हत्याकांड के मुख्य आरोपी अनंत सिंह के लिए ललन सिंह को क्यों उतरना पड़ा?

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मोकामा में अनंत सिंह के लिए उतरे ललन सिंह (Photo-social media) मोकामा में अनंत सिंह के लिए उतरे ललन सिंह (Photo-social media)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद चुनावी सीन बदल गया है. जेडीयू प्रत्याशी बाहुबली अनंत सिंह के जेल जाने के बाद उनके चुनावी अभियान की कमान संभालने खुद केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह उतर गए. मोकामा क्षेत्र की चुनावी लड़ाई को ललन सिंह ने अपनी साख का सवाल बना लिया और अनंत सिंह की गिरफ्तारी को सहानुभूति में तब्दील करने में जुट गए हैं.

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अनंत सिंह के लिए मोकामा में वोट मांगने उतरे ललन सिंह ने कहा कि अब एक-एक व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े.  अनंत बाबू बाहर थे, तब हमारी जिम्मेदारी कम थी, लेकिन अब जब वे जेल में हैं, तो हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है. आज से मैंने मोकामा की कमान अपने हाथ में ले ली है. 

जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री ललन सिंह ने अनंत सिंह के प्रचार के लिए मोकामा में कैंप कर रखा है. मोकामा के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर अनंत सिंह के लिए वोट मांग रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी को एक षड्यंत्र बता रहे हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अनंत सिंह के लिए आखिर ललन सिंह को क्यों उतरना पड़ा? 

अनंत सिंह की कमी को दूर करने का दांव?

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दुलारचंद यादव हत्याकांड में पूर्व विधायक और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह बीच चुनाव जेल चले गए हैं. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और उनके तमाम समर्थकों को गिरफ्तार किया जा चुका है.  इस तरह से अनंत सिंह को जेल में रहते हुए चुनाव लड़ना पड़ रहा है.

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जेल जाने से अनंत सिंह का चुनावी माहौल फीका पड़ रहा था. यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री और जेडीयू सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को मैदान में उतरना पड़ा है, ताकि अनंत सिंह के चुनाव प्रचार की रफ्तार बनी रहे. इसी के मद्देनजर उन्होंने कहा कि मोकामा में अब एक-एक व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े. 

अनंत सिंह का कर्ज उतार रहे ललन सिंह?

ललन सिंह और अनंत सिंह की अनंतकथा कोई नई नहीं है. पुरानी हिस्ट्री में जाएं तो ललन सिंह जिस मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, उसी इलाके में मोकामा विधानसभा सीट आती है. मोकामा में अनंत सिंह परिवार का सियासी दबदबा साढ़े तीन दशक से है. 2024 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह जब मुंगेर सीट से लड़ रहे थे, उनके सामने आरजेडी से पूर्व विधायक अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनीता थीं. अशोक महतो की वजह से ललन सिंह की सीट फंस गई थी. ऐसे में अनंत सिंह जेल से पैरोल पर बाहर आए और ललन सिंह के लिए चुनाव प्रचार किया था.

अनंत सिंह उस समय आरजेडी में थे और उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी से विधायक थीं. इसके बाद भी अनंत सिंह ने ललन सिंह को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. अनंत सिंह के उतरने से ललन सिंह को सियासी फायदा मिला था. अब जब अनंत सिंह जेल में हैं तो उन्हें जिताने के लिए ललन सिंह उतर रहे हैं. ़

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ललन सिंह मौका मिलते ही पीछे नहीं हट रहे हैं. ललन सिंह अब सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि अनंत बाबू बाहर थे, तब हमारी जिम्मेदारी कम थी, लेकिन अब जब वे जेल में हैं, तो हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है.  इस तरह 2024 का कर्ज 2025 में अदा करने के लिए वे उतरे हैं. 

मोकामा के बहाने मुंगेर को बचाने का दांव

मोकामा विधानसभा सीट पर अनंत सिंह को जिताने के लिए ललन सिंह उतरे हैं, लेकिन मोकामा के बहाने वह अपने मुंगेर के सियासी किले को बचाए रखने का दांव चल रहे हैं. अनंत सिंह के खिलाफ आरजेडी से उतरने वाली वीणा देवी बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी हैं और 2014 में मुंगेर में ललन सिंह को चुनाव हरा चुकी हैं. अब जब मोकामा के चुनाव में अनंत सिंह की वीणा देवी से सीधी टक्कर होती दिख रही है तो ललन सिंह के लिए सियासी चुनौती दिख रही है.

ललन सिंह इस बात को समझ रहे हैं कि मोकामा सीट अगर वीणा देवी जीतने में कामयाब हो जाती हैं तो भविष्य में वह उनके खिलाफ ताल ठोक सकती हैं. ऐसे में ललन सिंह बनाम सूरजभान सिंह की लड़ाई मोकामा बन गई है.

अनंत सिंह के जेल जाने के बाद ललन सिंह उनके लिए प्रचार कर रहे हैं तो आरजेडी प्रत्याशी पूर्व सांसद वीणा देवी भले ही चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उनके लिए जोर आजमाइश उनके पति सूरजभान सिंह कर रहे हैं. इसीलिए अनंत सिंह के लिए ललन सिंह उतर गए हैं, क्योंकि सूरजभान सिंह के खिलाफ ललन सिंह का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है.

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2014 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर लोकसभा सीट पर जेडीयू से ललन सिंह चुनाव लड़ रहे थे तो उनके सामने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी एलजेपी के टिकट पर भाग्य आजमा रही थीं. 2014 के आम चुनाव में ललन सिंह को 2,43,827 वोट मिले थे पर वह चुनाव हार गए थे. 

सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी ने उन्हें हराया थाय. यही वजह है कि अनंत सिंह के बहाने ललन सिंह आरजेडी उम्मीदवार वीणा देवी से अपना हिसाब बराबर करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने मोकामा सीट पर कैंप कर रखा है. 

भूमिहार समाज का चेहरा बनने की प्लानिंग

मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड के बाद अगड़ा बनाम पिछड़ा की राजनीति की जाने लगी थी. दुलारचंद यादव ओबीसी समाज से हैं तो अनंत सिंह भूमिहार (अगड़ी जाति) से हैं. मोकामा को भूमिहारों की राजधानी कहा जाता है. अनंत सिंह, सूरजभान सिंह और ललन सिंह तीनों भूमिहार जाति से आते हैं, तीनों नेताओं का ताल्लुक मुंगेर से है. 

दुलारचंद यादव की हत्या का आरोप अनंत सिंह पर लगा है, लेकिन अनंत सिंह ने कहा था कि सूरजभान सिंह की मदद पर यह पूरा कांड हुआ है. इस बात की ओर ललन सिंह भी इशारा कर रहे हैं। इस तरह मोकामा की लड़ाई भूमिहार नेताओं के नाक की लड़ाई बन गई है.

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 माना जा रहा है कि मोकामा से जो भी भूमिहार नेता चुनाव जीतता है, उसकी राज्य की राजनीति में, खासकर अपने समाज में, एक अलग रुतबे के तौर पर देखा जाता है. इसीलिए अनंत सिंह के जेल जाने के साथ ही ललन सिंह उतर गए हैं, ताकि सूरजभान सिंह अपना सियासी वर्चस्व कायम न कर सकें. 

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