चिराग, मांझी, मुकेश सहनी... कौन देगा इनकी डिमांड्स के लिए कुर्बानी? दोनों गठबंधनों में पशोपेश

बिहार चुनाव के लिए नॉमांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, लेकिन सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे का सवाल जस का तस है. दोनों ही गठबंधनों में छोटे दलों की डिमांड्स के लिए कुर्बानी कौन देगा?

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24 घंटे के भीतर चौथी बार चिराग के आवास पहुंचे नित्यानंद राय (Photo: ITG) 24 घंटे के भीतर चौथी बार चिराग के आवास पहुंचे नित्यानंद राय (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है. इन सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पटना से दिल्ली तक मेल-मुलाकातों और बैठकों का दौर भी चल रहा है, लेकिन सीटों का पेच है कि सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन में उम्मीदवार की कौन कहे, अब तक यही तय नहीं हो सका है कि कौन सी पार्टी कितनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

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एनडीए की बात करें तो चिराग पासवान और जीतनराम मांझी की डिमांड्स ने सीटों का मसला उलझा दिया है. बिहार एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सीटों का पेच सुलझाने, चिराग पासवान को मनाने के लिए अब अपने वरिष्ठ नेताओं को एक्टिव कर दिया है. केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय शुक्रवार को 24 घंटे के भीतर चौथी बार चिराग पासवान के दिल्ली आवास पहुंचे. नित्यानंद राय इससे पहले गुरुवार को तीन बार चिराग पासवान से मिलने उनके आवास पहुंचे थे.

नित्यानंद राय 9 अक्टूबर की दोपहर में चिराग पासवान के आवास पहुंचे, लेकिन तब मुलाका नहीं हो पाई. नित्यानंद राय केंद्रीय कैबिनेट में अपने सहयोगी चिराग की मां से मुलाकात के बाद लौट गए थे. नित्यानंद दूसरी बार दोपहर दो बजे चिराग के आवास पहुंचे और इस बार दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई. चिराग से लंबी बात के बाद नित्यानंद राय उनके आवास से निकले नित्यानंद राय रात 10 बजे के करीब तीसरी बार धर्मेंद्र प्रधान को साथ लेकर पहुंच गए. तीनों नेताओं की बातचीत हुई और आज धर्मेंद्र प्रधान जब पटना पहुंचे हैं, नित्यानंद राय 24 घंटे के भीतर चौथी चिराग के आवास पहुंचे.

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सहयोगियों को मनाने में जुटी बीजेपी

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धर्मेद्र प्रधान बिहार बीजेपी के नेताओं और एनडीए के अन्य घटक दलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे. एनडीए में चल रही चिराग की मान-मनौव्वल के बीच उनकी अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रवक्ता धीरेंद्र मुन्ना ने दावा किया है कि सीटों का पेच अभी सुलझा नहीं है.

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उन्होंने साफ कहा कि हमें उतनी ही सीटें चाहिए, जितनी चिराग पासवान ने कही हैं. हम कम सीटों पर नहीं मानेंगे. वहीं, जीतनराम मांझी भी 15 सीट से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं. बिहार एनडीए के घटक दलों को सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर राजी करने के लिए बीजेपी जहां एक्टिव हो गई है, वहीं महागठबंधन में भी सीटों की गुत्थी उलझी हुई है.

महागठबंधन में भी बैठकों का दौर

विपक्षी महागठबंधन में भी सीटों का पेच सुलझाने के लिए बैठकों का दौर जारी है. तेजस्वी यादव के आवास पर महागठबंधन के घटक दलों के नेताओं की कई दौर की बातचीत हो चुकी है. मुकेश सहनी अपनी पार्टी के लिए 40 सीटें और डिप्टी सीएम पोस्ट मांग रहे हैं. वहीं, लेफ्ट भी कम से कम 30 सीटें चाह रहा है. कांग्रेस भी 70 सीटों की डिमांड पर अड़ी हुई है. मुकेश सहनी ने एक दिन पहले भी तेजस्वी से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं के बीच रविवार से अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है.

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महागठबंधन में रविवार से शुरू हुआ मैराथन मीटिंग का सिलसिला शुक्रवार यानी आज भी जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी की बैठक है, जिसमें उम्मीदवारों के नाम पर मंथन के साथ ही सीट बंटवारे पर भी मंथन होगा. सीटों पर रार है ही, तकरार सीएम उम्मीदवारी पर भी है. महागठबंधन के सभी दल तेजस्वी को सीएम फेस बनाने पर सहमति दे चुके हैं, सिवाय कांग्रेस के. सीएम फेस पर कांग्रेस के पेच के पीछे मनमुताबिक सीटों के लिए आरजेडी पर प्रेशर बनाए रखने की रणनीति को वजह बताया जा रहा है.

कौन देगा कुर्बानी?

बिहार के दोनों ही गठबंधनों में शामिल हर दल पुष्पा बने बैठा है. सबके तेवर वही हैं- झुकेगा नहीं. ऐसे में सवाल है कि चुनावी मौसम में एकजुटता बनाए रखने के लिए कुर्बानी कौन देगा? एनडीए की बात करें तो चिराग से लेकर जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा तक, छोटे दलों को संतुष्ट करने और साथ बनाए रखने के लिए दो बड़े घटक दलों बीजेपी और जनता दल (यूनाइटेड) को कुर्बानी देनी पड़ सकती है. ये दोनों ही बड़ी पार्टियां 205 सीटें अपने पास रखने और शेष 38 सीटों से ही तीन सहयोगियों को संतुष्ट करने की कोशिश में हैं. वहीं, महागठबंधन की बात करें तो सहयोगियों के लिए सीटों की कुर्बानी आरजेडी और कांग्रेस को देनी पड़ सकती है.

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