बिहार में बीजेपी-जेडीयू ने चला 70 प्लस का फॉर्मूला तो 9 विधायकों के चुनाव लड़ने पर लग जाएगा ग्रहण

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में भले सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय ना सका हो, लेकिन उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया की शुरू हो गई है. बीजेपी और जेडीयू की रणनीति इस बार युवा चेहरों पर दांव लगाने की है, जिसके चलते कई मौजूदा विधायकों के चुनाव लड़ना मुश्किल हो सकता है.

Advertisement
बिहार में नीतीश कुमार और पीएम मोदी की जोड़ी (Photo-PTI) बिहार में नीतीश कुमार और पीएम मोदी की जोड़ी (Photo-PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. नीतीश कुमार सत्ता पर अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए हरसंभव तैयारी में जुटे हैं, जिसके लिए फूंक-फूंककर कदम बढ़ाए जा रहे हैं. बीजेपी और जेडीयू अगर टिकट वितरण में 70 प्लस का फॉर्मूला पर वीटो पावर लगाती हैं तो दोनों पार्टियों को मौजूदा 9 विधायकों के चुनाव लड़ने पर सियासी ग्रहण लग सकता है.

Advertisement

बीजेपी और जेडीयू बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार उम्मीदवारों के सेलेक्शन में अगर उम्र सीमा की नीति को लागू कर सकती है. बीजेपी पहले से ही यह दांव आजमाती रही है. सत्तर वर्ष की आयु क्रॉस कर चुके नेताओं को चुनाव मैदान उतारने से बीजेपी बचती रही है. इस तरह बीजेपी बुजुर्ग चेहरों के बजाय युवाओं नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर नई लीडरशिप खड़े करने की स्टैटेजी अपनाती रही है. माना जा रहा है कि बीजेपी के नक्शेकदम पर इस बार जेडीयू भी अपने कदम बढ़ा सकती है. 

बिहार विधानसभा में बीजेपी और जेडीयू के कई उम्रदराज विधायक हैं, जिनमें से कुछ विधायकों की उम्र 80 साल हो गई है तो कुछ की 75 वर्ष क्रॉस कर गए है. 70 साल की उम्र क्रास करने वाले एनडीए के 9 विधायक हैं, जिसमें छह जेडीयू से हैं और तीन बीजेपी से हैं. बीजेपी और जेडीयू अगर उम्र सीमा नीति का दांव चलती है तो 2025 के विधानसभा चुनाव में उनका उतरना मुश्किल हो जाएगा.

Advertisement

एनडीए के 70 प्लस वाले विधायक

बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें

बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

सुपौल से जेडीयू विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव मौजूदा विधानसभा में सबसे बुजुर्ग विधायक हैं. बिजेंद्र यादव की 80 साल पार होने वाली. सुल्तानगंज से जेडीयू के विधायक ललित नारायण मंडल 75 साल के हो रहे. बहादुरपुर से जेडीयू विधायक मदन सहनी करीब 73 साल के हैं. बेलहर सीट से जेडीयू के विधायक मनोज यादव 70 साल, परिहार से जेडीयू विधायक जितेंद्र कुमार राय भी 70 वर्ष के हो गए हैं. रानीगंज से जेडीयू विधायक अच्मित ऋषिदेव भी 70 साल की उम्र पहुंचने वाले हैं. 

वहीं, कुम्हरार से बीजेपी विधायक अरुण कुमार सिन्हा 74 साल की आयु हो रही है. पटना साहिब से बीजेपी विधायक और विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव भी 73 साल के हो गए हैं. बाकां सीट से बीजेपी के विधायक और दिग्गज नेता राम नारायण मंडल भी 72 साल के हो रहे हैं. इसके अलावा 2020 के विधानसभा चुनाव में इमामगंज सीट से जीतने वाले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी 74 साल में चुनाव जीते थे, लेकिन 2024 में लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. 

बीजेपी-जेडीयू क्या लगाएगी उम्र सीमा

बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी दल अपने सिपहसलारों को उतारने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके लिए सीट वाइज सर्वे भी कराए जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू दोनों ही पार्टियां इस बार बहुत ही सोच-समझकर कैंडिडेट के सेलेक्शन करने की प्लानिंग की है. उम्र सीमा और पार्टी रणनीति के में फिट नहीं बैठने वाले विधायकों का टिकट काट सकती है. इस फेहरिश्त में जेडीयू अपने बिजेंद्र प्रसाद यादव और ललित नारायण मंडल जैसे दिग्गज नेताओं का भी टिकट काटना पड़ सकता है. इसी तरह बीजेपी को भी नंदकिशोर यादव से लेकर अरुण कुमार सिन्हा जैसे नेताओं को उम्मीदवार बनाना आसान नहीं होगा. 

Advertisement

2024 के लोकसभा और उसके बाद हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने उम्रदराज विधायक और नेताओं का टिकट काटकर युवा चेहरों पर दांव खेलती रह है. बीजेपी का अपने बुजुर्ग नेताओं के टिकट काटने का दांव सफल रहा है, चाहे महाराष्ट्र की बात हो या फिर हरियाणा और दिल्ली चुनाव में. बीजेपी बुजुर्ग और उम्रदराज नेताओं की जगह युवा नेताओं को मौका देने की रणनीति अपनाती रही है. यही वजह है कि जेडीयू और बीजेपी इस बार बिहार में इस दांव को आजमा सकती है. 

युवा नेताओं को उतारने का सियासी दबाब
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर जिस तरह से बिहार चुनाव में युवा नेताओं के इर्द-गिर्द सियासी तानाबाना बुन रहे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस भी युवाओं पर ही दांव खेलने की पूरी तैयारी की है, जिसकी झलक पार्टी के बिहार प्रभारी से लेकर सह-प्रभारी तक को देखा जा सकता है. इसके अलावा चिराग पासवान भी युवाओं को लेकर अपना सियासी दांव चल रहे हैं. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू पर भी युवाओं को उतारने का सियासी दबाव बढ़ता जा रहा है. 

बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष के युवाओं पर फोकस को देखते हुए नीतीश कुमार ने पहले युवा आयोग बनाने का ऐलान किया और उसे कैबिनेट से भी मंजूरी दिलाई. नीतीश कुमार ने कहा था, 'बिहार के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, उन्हें प्रशिक्षित करने तथा सशक्त और सक्षम बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने बिहार युवा आयोग के गठन का निर्णय लिया.' 

Advertisement

बिहार युवा आयोग में एक अध्यक्ष,2 उपाध्यक्ष और 7 सदस्य हैं, जिनकी अधिकतम उम्र सीमा 45 वर्ष निर्धारित रखी है. ऐसे में साफ है विधानसभा चुनाव में भी युवाओं पर दांव खेलने की पूरी तैयारी जेडीयू और बीजेपी ने बना ली है, जिसके लिए अपने बुजुर्ग विधायक और नेताओं की टिकट काटने का भी दांव चल सकती है. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement