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राजीव गांधी: जिनके कार्यकाल में देश ने देखी 'कंप्यूटर क्रांति'

प्रियंका शर्मा
  • 20 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST
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पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज 74वीं जयंती है. उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. वह देश के सातवें और भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे. वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो भारत में कंप्यूटर क्रांति लाए.



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राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया.

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देश की दो बड़ी टेलिकॉम कंपनी एमटीएनएल और वीएसएनएल की शुरुआत उनके कार्यकाल के दौरान हुआ.

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उनके इस योगदान ने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारतीय घर तक लाने का काम किया गया बल्कि भारत में इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया.

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कैसे हुई शुरुआत- उस दौर में कंप्यूटर लाना इतना आसान नहीं था. तब कंप्यूटर्स महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे.


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यहीं से कंप्यूटर्स की कीमतें कम होनी शुरू हुई. क्योंकि इससे पहले तक कंप्यूटर्स सिर्फ चुनिंदा संस्थानों में इंस्टॉल किए गए थे.

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बता दें, भारत में टेलीकॉम और कंप्यूटर क्रांति में सैम पित्रोदा ने भी अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने लगभग दशकों तक राजीव गांधी के साथ मिलकर भारतीय इन्फॉर्मेशन इंडस्ट्री बनाने में मदद की.

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राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले साल  1970 में पहली बार भारत में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी जिसका मकसद पब्लिक सेक्टर में कंप्यूटर डिविजन की नींव रखना था. 1978 में IBM के अलावा दूसरी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने भारत में कंप्यूटर बनाना शुरू किया.

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एक बार पित्रोदा ने कहा भी था कि नरेंद्र मोदी ने नहीं, बल्कि राजीव गांधी ने डिजिटल इंडिया के लिए सबसे पहले काम शुरू किया था.

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राजीव गांधी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिसकी वजह से देश ने उनके कार्यकाल में डिजिटल क्रांति देखी.

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