पहले अटेंप्ट में UPSC प्रीलिम्स भी नहीं निकाल पाए थे अर्थ, दूसरी बार में पाई 16वीं रैंक, जानिए- क्या रही स्ट्रेटजी

UPSC Result 2020: आईएएस में 16वीं रैंक पाने वाले अर्थ ने अपने पिता आईपीएस ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पिता से प्रेरणा लेकर आईएएस बनने की ठानी थी. उनके घर में पहले से पिता मुकेश जैन व अंकल पवन जैन दो-दो आईपीएस हैं.

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सर्वेश पुरोहित

  • ग्वालियर ,
  • 29 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST

UPSC 2020 Result: ग्वालियर के रहने वाले अर्थ जैन ने यूपीएससी-2020 परीक्षा में 16वीं रैंक ह‍ासिल की है, जबकि पहले अटेम्प्ट में प्रीलिम्स भी नहीं निकाल लिए थे. जानिए- कैसे की तैयारी... 

अर्थ जैन ने आजतक डॉट इन से बातचीत में कहा कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए फोकस बहुत जरूरी है. अगर आपने डिसाइड कर लिया है कि UPSC जैसा कठिन एग्जाम देना है तो उसके लिए आपको रोज 10-12 घंटे तो देना ही है, उसी में लगे रहें. इसलिए कल पर टालने के बजाय बस पढ़ाई में जुट जाएं निश्चित ही सफलता आपके हाथ लगेगी. 

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उनके पिता मुकेश जैन मध्य प्रदेश में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पद पर हैं. अर्थ ने अपने पिता से भी प्रेरणा ली. वो साल 2017 से यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, उन्होंने अपना पहला अटेम्प्ट 2019 में द‍िया था. अर्थ कहते हैं कि पहली बार जब क्लियर नहीं हुआ तो पापा ने समझाया कि ये लम्बी रेस है इसमें दो चार साल तो लग ही सकते हैं. 

MP है प्राथमिकता 

अर्थ का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में ही हुआ था, वो यहीं रहे और पले-बढ़े. उनके पेरेंट्स भी मध्य प्रदेश के हैं तो वो आईएएस बनकर पहली प्राथमिकता मध्य प्रदेश को देते हैं. उनके घर में उनके अलावा एक छोटा भाई है, वो भी तैयारी कर रहा है. अब उसका एग्जाम भी करीब है तो कहीं घूमने का प्लान नहीं बनाया है. 

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अर्थ अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने पेरेंट्स को देते हैं, जिन्होंने 4 साल की लगातार मेहनत में साथ दिया. साल  2017 से उन्होंने पढ़ाई शुरू की और पहला अटेम्प्ट दिया 2019 उसमें प्री भी क्लियर नहीं हुआ था. इसके लिए उन्हें 10 से 11 घंटे पढ़ना पड़ता था, फिर 2020 में यूपीएससी प्री क्लियर और इसी परीक्षा में 16वीं रैंक मिली है. 

पहली बार फेल होने पर पापा ने समझाया 

अर्थ कहते हैं कि जब मैं कॉलेज में सेकेंड इयर में था तभी पापा से मोटिवेशन मिली और आईएएस बनने की ठान ली थी. इसमें पापा मम्मी दोनों ने सपोर्ट किया था. पापा ने ही कहा कि पहली बार असफलता मिलने पर निराश नहीं होना चाहिए इसी तरह से मैं अनुशासित तरीके से हर रोज लगा रहा. 

उनके पि‍ता मुकेश जैन ने कहा कि बच्चे जब सफल होते हैं तो अच्छा तो लगता ही है. ये कड़ी मेहनत का हिस्सा है. जब इंजीनियरिंग कर रहा था तभी से उसने तैयारी शुरू करदी थी और वहां से निकलने के बाद जॉब नहीं की. जॉब वही करो जो दिल को भाए, जिसमें अपने आपको अच्छा लगे. लोगों की सेवा करने में अच्छा लगता है इसलिए मैंने भी सिविल सर्विसेज को चुना था.

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