S-400, MRSAM, Igla-S... क्या होगा अगर भारत पर दुश्मन कर दे इजरायल जैसा मिसाइल अटैक? कैसा है देश का 'सुरक्षा चक्र'

Israel Iron Dome: इजरायल पर ईरान ने हमला किया और एक साथ कई मिसाइलें फायर की गईं. लेकिन, इजरायल के आयरन डोम ने कई मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर दिया.

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इजरायल की आयरन डोम एयर डिफेंस प्रणाली काफी खतरनाक मानी जाती है. (फोटोः रॉयटर्स) इजरायल की आयरन डोम एयर डिफेंस प्रणाली काफी खतरनाक मानी जाती है. (फोटोः रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

ईरान ने इजरायल पर करीब 180 मिसाइलों से अटैक किया. इजरायल की ओर आईं इतनी मिसाइलों में सिर्फ कुछ ही इजरायल की जमीन तक पहुंचीं और बाकी मिसाइलों को हवा में खत्म कर दिया गया. लेकिन, ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने दावा किया कि मिसाइलों में से 90 फीसदी मिसाइल अपने निशाने पर लगीं. अब दोनों देश के अपने अपने फैक्ट हैं, इसी बीच आयरनडोम की काफी चर्चा हो रही है, जिसे एंटी मिसाइल सिस्टम में काफी खतरनाक माना जाता है. लेकिन, सवाल ये है कि जिस तरह इजरायल के पास जिस तरह एंटी मिसाइल सिस्टम है, वैसा भारत के पास कुछ है?

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इजरायल के पास क्या है सिस्टम?

बता दें कि इजरायल के पास सिर्फ आयरन डोम ही नहीं, बल्कि कई ऐसे सिस्टम है, जिनसे वो मिसाइल को हवा में खत्म कर सकता है. इसराइल के पास कई एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिनमें से हर एक को अलग-अलग ऊंचाई और दूरी पर आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है.

इन सिस्टम में ऐरो-3, ऐरो-2, Iron Beam, लाइट ब्लेड, डेविड स्लिंग आदि शामिल हैं. ये सभी इजरायल के खास एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जिनसे 90 फीसदी मिसाइलें जमीन पर पहुंच ही नहीं पाती है.  ईरान मिसाइल अटैक में कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि ईरान की हर 10 में से सिर्फ 1 मिसाइल ही जमीन तक पहुंच पाई थी. 

कितने खतरनाक है इजरायल के सिस्टम?

आयरन डोम- यह कम दूरी से दागे गए रॉकेट या मिसाइलों को रोक सकता है. आयरन डोम चार किलोमीटर से लेकर 70 किलोमीटर की दूरी से दागे गए रॉकेट या मिसाइलों को रोक सकता है. ये मिसाइलों को काफी अच्छे से ट्रैक कर लेता है. 

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डेविड्स स्लिंग-  एक मध्यम दूरी तक मार करने के लिए परफेक्ट है. डेविड्स स्लिंग को मिसाइलों को कम ऊंचाई पर कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है.

एरो-2- इसे 50 किलोमीटर ऊपर से गुजरने वाली कम दूरी और मध्यम दूरी की मिसाइलों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. ये 500 किलोमीटर दूर से मिसाइल का पता कर सकता है. 

एरो-3- इस सिस्टम को लंबी दूरी की उन बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. 

भारत के पास क्या है?

अब बात करते हैं भारत की. भारत के आर्मी एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत के पास काफी मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम है और अब इसे पूरी तरह से स्वदेशी बनाने का प्रोसेस चल रहा है. इजरायल के आयरन डोम की रेंज करीब 70 किलोमीटर है, जबकि भारत के पास जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली आकाश है. यह एक ऐसी प्रणाली है जो 25 किलोमीटर की रेंज में चार हवाई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. 

S-400
S-400 को दुनिया के सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम में एक माना जाता है. एंटी-एक्सेस और एरिया डिनायल के क्षेत्र में एस-400 काफी असरदार मानी जाती है. ये अडवांस एयर डिफेंस सिस्टम विमान, यूएवी, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को गिराने में सक्षम है. इस सिस्टम में कई मिसाइलों का कॉम्बिनेशन हैं, जो अलग अलग रेंज पर टारगेट करती है. इसमें 9M96E के साथ 40 किलोमीटर की रेंज, 9M96E2 की 120 किलोमीटर की रेंज, 48N6 की 250 किलोमीटर की रेंज और 40N6E मिसाइल की 400 किलोमीटर की रेंज शामिल है.

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बता दें कि भारत रूस से ये सिस्टम ले रहा है और माना जा रहा है कि 2026 में रूस आखिरी दो स्क्वाड्रन भारत को सौंप देगा. 35,000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल डील को 2023-24 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण इसमें देरी की संभावना है.

MRSAM

वहीं, अगर 70 किलोमीटर की रेंज वाली कैटेगिरी में बात करें तो इंडियन आर्मी के पास मध्यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल MRSAM है, जिसे भारत और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने बनाया है. MRSAM दुश्मन के हवाई खतरों, जैसे मिसाइलों, विमान, हेलीकॉप्टर्स और कई बमों को नष्ट करने में सक्षम है.

MRSAM की भी कई यूनिट हैं, जिसमें एक स्वदेशी है और उसे एयर क्राफ्ट्स, फाइटर प्लेन, क्रूज मिसाइलों के लिए काम में लिया जा सकता है. ये हाई रेस्पॉन्स, क्विक रिएक्शन वाली सुपरसोनिक मिसाइल है. इसका वजन 275 किलो है और इसकी रेंज 70 किमी है. 

Igla-S

भारतीय सेना को हाल ही में मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम वाली 10 मिसाइलें मिली हैं, जो रूस की ओर से बनाई गई है. इग्ला-एस एक हाथ से पकड़ी जाने वाली एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल है, जो विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर हमारे डिफेंस सिस्टम को बढ़ाती है. इसे दुश्मन के विमानों को गिराने के लिए किसी व्यक्ति या चालक दल की ओर से फायर किया जा सकता है. इनके साथ ही भारतीय सेना एलबीआरजी (लेजर बीम राइडर गाइडेंस) सिस्टम पर भी काम कर रही है. 

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BAD पर हो रहा है काम

वहीं, भारत ने डीआरडीओ के साथ हाल ही में बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस को लेकर कई टेस्ट किए हैं. बीएमडी को पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर और बाहर दोनों ही स्थानों पर बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने और नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. बीएमडी दो स्तर पर काम कर रहा है. एक स्टेज में 3000 किलोमीटर तक की दूरी वाली मिसाइलों को रोकने के लिए बनाया गया है, जबकि दूसरे चरण का लक्ष्य 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी वाली मिसाइलों को रोकना है. 

इनमें PAD, PDV, AAD इंटरसेप्टर डिजाइन किए गए हैं और इनके सफल परीक्षण भी हो चुके हैं. इनमें पीएडी 50-180 किलोमीटर की ऊंचाई के लिए है जबकि एएडी 20-40 किलोमीटर की ऊंचाई के लिए है. वहीं दूसरी स्टेड में एडी-1 और एडी-2 को विकसित किया जा रहा है, जिन्हें लंबी दूरी के हिसाब से डिजाइन किया जा रहा है. 

VSHORADS

डीआरडीओ ने हाल ही में बहुत कम दूरी की हवाई रक्षा प्रणाली VSHORADS का सफल परीक्षण किया था. यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के S-400 की तरह ही है. इस मिसाइल की स्पीड एयर डिफेंस सिस्टम के हिसाब से बेहतरीन है. इससे दुश्मन के यान, विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को भागने या बचने का मौका ही नहीं मिलेगा.

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कोई भी एयर डिफेंस फुलप्रूफ नहीं है

बीबीसी की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट के हवाले से लिखा गया है कि दुनिया में कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम फुलप्रूफ नहीं है. एक्सपर्ट के अनुसार, इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम भले ही मजबूत है, लेकिन दुनिया में कोई भी हवाई रक्षा प्रणाली अभेद्य नहीं है. इसमें अमेरिका की हवाई रक्षा प्रणाली भी शामिल है.

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