वेनेजुएला को क्यों घेर रहा अमेरिका? अपनी अहमियत बचा पाएगा या रूस की एंट्री होगी

अमेरिका वेनेजुएला को तेल और रूस-चीन के प्रभाव के लिए घेर रहा है. दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाला यह देश अमेरिका का पड़ोसी है. मादुरो सरकार कमजोर अर्थव्यवस्था के बावजूद सेना और सहयोगियों के दम पर लड़ रही है. रूस ने हथियार और सैन्य सलाहकार भेजकर पूरा साथ दिया है. सीधा युद्ध मुश्किल है.

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ये है अमेरिका का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड जो वेनेजुएला के पास खड़ा है. (File Photo: US Navy) ये है अमेरिका का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड जो वेनेजुएला के पास खड़ा है. (File Photo: US Navy)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST

दिसंबर 2025 में अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव आसमान छू रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने कैरिबियन सागर में युद्धपोत, पनडुब्बियां और F-35 फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं. 10 दिसंबर को एक तेल टैंकर जब्त कर लिया गया, जिसे अमेरिका ने 'सैंक्शन्ड तेल' तस्करी का दोषी बताया. लेकिन वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो इसे 'समुद्री डकैती' बता रहे हैं. असल में यह सब वेनेजुएला के विशाल तेल भंडारों पर कब्जे और रूस-चीन के प्रभाव को तोड़ने की जंग लगती है. 

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अमेरिका क्यों घेर रहा है वेनेजुएला को?

ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला को 'ड्रग तस्करी का केंद्र' बताकर दबाव बढ़ाया है. अगस्त 2025 में ट्रंप ने एक गुप्त आदेश जारी किया, जिससे पेंटागन को लैटिन अमेरिकी ड्रग कार्टेल्स पर हमले की छूट मिली. वेनेजुएला के 'कार्टेल डे लॉस सोल्स' और 'ट्रेन डे अरागुआ' गैंग को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया गया.

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सितंबर से अमेरिका ने कैरिबियन में 20 से ज्यादा नावों पर हवाई हमले किए, जिनमें 87 लोग मारे गए. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि असली वजह वेनेजुएला के तेल पर कब्जा है. ट्रंप ने मादुरो को 'ड्रग किंगपिन' कहा और तेल टैंकरों पर हमले की धमकी दी.

1 दिसंबर को ट्रंप ने मादुरो को फोन पर 'तुरंत सत्ता छोड़ने' का अल्टीमेटम दिया. अमेरिका का 'ऑपरेशन साउदर्न स्पीयर' कैरिबियन में दशकों का सबसे बड़ा सैन्य अभियान है, जिसमें USS गेराल्ड आर फोर्ड जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल हैं. आलोचक कहते हैं कि यह मादुरो को हटाने की साजिश है, जैसा अमेरिका ने पहले क्यूबा या निकारागुआ में किया.

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वेनेजुएला कितना अहम देश है?

वेनेजुएला दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार वाला देश है – 303 अरब बैरल से ज्यादा भंडार, जो सऊदी अरब से भी ज्यादा हैं. यह अमेरिका का पड़ोसी है, इसलिए वॉशिंगटन इसे दुश्मन नहीं देखना चाहता. तेल के अलावा, इसका भू-राजनीतिक महत्व बड़ा है. रूस, चीन, ईरान और क्यूबा के साथ गठबंधन ने इसे अमेरिका के लिए खतरा बना दिया. रूस ने तेल उत्पादन में निवेश किया. चीन ने कर्ज दिया. ईरान ने ड्रोन और हथियार दिए.

2023 में वेनेजुएला ने सिर्फ 4 अरब डॉलर का तेल निर्यात किया (सऊदी के 181 अरब के मुकाबले), लेकिन अगर उत्पादन बढ़ा तो वैश्विक ऊर्जा बाजार हिल सकता है. अगर मादुरो गिरे, तो रूस-चीन को लैटिन अमेरिका में बड़ा झटका लगेगा. तेल के कारण ही अमेरिका इसे 'पेट्रोस्टेट' (तेल-आधारित राज्य) मानता है, जहां संसाधन धन के बजाय गरीबी ला रहे हैं.

क्या वेनेजुएला सामना कर पाएगा?

मादुरो सरकार मजबूत दिख रही है, लेकिन चुनौतियां पहाड़ जैसी हैं. वेनेजुएला ने सैन्य अभ्यास तेज कर दिए – मिलिशिया को हथियार सिखाए जा रहे हैं. 10 लाख से ज्यादा नागरिक सैनिक तैयार हैं. लेकिन अर्थव्यवस्था बर्बाद है... महंगाई 1000% से ऊपर, भुखमरी और 80 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं. 

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अमेरिकी सैंक्शंस ने तेल बिक्री रोक दी है. राजस्व 90% गिर गया है. सेना पुरानी है – 1 लाख रेगुलर सैनिक, लेकिन उपकरण खराब. फिर भी, मादुरो ने विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो (2025 नोबेल शांति पुरस्कार विजेता) को जेल की धमकी दी और सेना का साथ बरकरार रखा. क्यूबा से खुफिया मदद, ईरान से ड्रोन, रूस से हथियार आ रहे हैं. 

विशेषज्ञ कहते हैं कि पूर्ण युद्ध में वेनेजुएला अकेला नहीं टिक पाएगा, लेकिन कूटनीतिक चैनल खुले हैं. ट्रंप ने कहा कि तत्काल युद्ध की संभावना कम है. मादुरो बोले कि हम अपनी संप्रभुता की रक्षा करेंगे.

क्या रूस की एंट्री होगी?

हां, रूस वेनेजुएला का सबसे मजबूत समर्थक है. 11 दिसंबर को पुतिन ने मादुरो से फोन पर 'पूर्ण समर्थन' का वादा किया और 'रणनीतिक साझेदारी' पर चर्चा की. 

रूस ने UN में अमेरिकी 'आक्रमण' की निंदा की. यूक्रेन युद्ध के बावजूद, रूस ने दो मिलिट्री कार्गो प्लेन भेजे – मिसाइल, रडार, विमान अपग्रेड और ड्रोन ट्रेनिंग के लिए. नवंबर में 120 रूसी सैनिक सलाहकार के रूप में पहुंचे, जो इन्फैंट्री, स्पेशल फोर्सेस और सिग्नल इंटेलिजेंस सिखा रहे हैं.

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विश्लेषक कहते हैं कि रूस सैनिक भेजने की स्थिति में नहीं – यूक्रेन में फंसा है. यह 'इकोनॉमी ऑफ फोर्स' है – कम संसाधन से ज्यादा फायदा. अगर अमेरिका हमला करे, तो रूस-चीन UN में ब्लॉक करेंगे, कूटनीतिक दबाव बनाएंगे और हथियार (जैसे S-400) देंगे. 

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लैटिन अमेरिका युद्ध की कगार पर

ट्रंप का 'मैक्सिमम प्रेशर' मादुरो को हटाने या तेल पर कब्जा करने का है, लेकिन यह रूस-चीन को उकसा सकता है. वेनेजुएला टिक सकता है अगर सहयोगी साथ दिए, लेकिन लंबा संघर्ष तबाही लाएगा – तेल कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं. दुनिया की नजर इस 'नई कोल्ड वॉर' पर है – क्या यह सिर्फ सैंक्शंस पर रुकेगा या असली टकराव होगा? UN ने अमेरिकी हमलों को 'अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ' बताया है.

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