भारतीय नौसेना के MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टरों के लिए 7995 करोड़ की मेगा डील

भारतीय नौसेना के 24 MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टरों के लिए अमेरिका से 7995 करोड़ का समझौता हुआ है. अगले 5 साल तक स्पेयर पार्ट्स, ट्रेनिंग और मरम्मत की पूरी सुविधा मिलेगी. भारत में ही नई रिपेयर फैसिलिटी बनेगी. निर्भरता कम, आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. पनडुब्बी रोधी ताकत और मजबूत होगी.

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ये है अमेरिका का MH60R रोमियो हेलिकॉप्टर जो भारतीय नौसेना के पास है. (File Photo: US Navy) ये है अमेरिका का MH60R रोमियो हेलिकॉप्टर जो भारतीय नौसेना के पास है. (File Photo: US Navy)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका सरकार के साथ दो बड़े Letters of Offer & Acceptance (LOA) पर हस्ताक्षर किए. कुल कीमत करीब 7,995 करोड़ रुपये (लगभग 950 मिलियन डॉलर). यह पैसा भारतीय नौसेना के 24 MH-60R सीहॉक रोमियो हेलीकॉप्टरों को अगले 5 साल (2025-2030) तक पूरी तरह तैयार और ऑपरेशनल रखने में लगेगा. समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में हुआ.

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MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टर की खासियतें

  • निर्माता: स्कॉर्स्की (लॉकहीड मार्टिन), अमेरिका  
  • कुल संख्या भारत के पास: 24 (2022-2024 के बीच डिलीवरी पूरी)  
  • मुख्य काम: पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare), सतह पर हमला, सर्च एंड रेस्क्यू, मेडिकल इवैक्यूएशन  

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खास बातें

  • हर मौसम में उड़ान (all-weather).
  • जहाजों से उड़ान और लैंडिंग (नाइट विज़न के साथ).
  • हेलफायर मिसाइल, टॉरपीडो, सोनोबॉय और रडार से लैस.
  • दो GE T-700 इंजन, 400+ नॉटिकल माइल रेंज.
  • इनके आने से नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है.

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समझौते में क्या-क्या मिलेगा?

  • स्पेयर पार्ट्स और सपोर्ट इक्विपमेंट – हर छोटा-बड़ा पुर्जा.  
  • ट्रेनिंग – पायलट, मेंटेनेंस स्टाफ और इंजीनियरों की लगातार ट्रेनिंग.  
  • तकनीकी मदद – अमेरिकी एक्सपर्ट की टीम भारत में रहेगी.

भारत में मरम्मत सुविधाएं

  • कोच्चि और गोवा में इंटरमीडिएट लेवल रिपेयर फैसिलिटी बनेगी.
  • Periodic Maintenance Inspection (PMI) का पूरा सेटअप भारत में ही. 
  • लॉजिस्टिक्स सपोर्ट – जहाजों पर और दूर-दराज़ के एयर बेस पर भी तुरंत सप्लाई.

आत्मनिर्भर भारत की बड़ी जीत

  • पहले हर छोटी-मोटी मरम्मत के लिए हेलीकॉप्टर या पार्ट्स अमेरिका भेजने पड़ते थे – महीनों लग जाते थे. अब भारत में ही ये सारी सुविधाएं बनेंगी.  
  • भारतीय MSME और प्राइवेट कंपनियां सैकड़ों पार्ट्स बनाएंगी.  
  • नौसेना के जवान खुद मरम्मत करेंगे. 
  • विदेशी निर्भरता बहुत कम हो जाएगी.  
  • लंबे समय में करोड़ों डॉलर की बचत होगी.

नौसेना को क्या फायदा?

  • हेलीकॉप्टरों की उपलब्धता 90% से ऊपर रहेगी (अभी भी 85%+ है).  
  • समुद्र में जहाजों से तुरंत ऑपरेशन.  
  • चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों पर और मजबूत नजर.  
  • किसी भी मौसम में मिशन पूरा करने की गारंटी.

यह समझौता अमेरिका के Foreign Military Sales (FMS) प्रोग्राम के तहत हुआ है. अब हमारे MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टर दिन-रात तैयार रहेंगे – और वो भी मेक इन इंडिया के साथ.

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