थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर एक बार फिर गोलीबारी और हवाई हमला हो गया है. थाईलैंड ने अपने F-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर बमबारी की, जबकि कंबोडिया ने जवाब में रॉकेट और तोपों से हमला किया. इस झड़प में दोनों तरफ के सैनिक मारे गए हैं. आइए जानते हैं कि दोनों की वॉर पावर कितनी है. जुलाई में हुए छोटे संघर्ष के बाद फिर झड़प हुई. इसकी वजह भी जानते हैं.
दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा विवाद प्राचीन प्रीह विहार मंदिर को लेकर है. यह मंदिर UNESCO विश्व धरोहर है. 1962 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने मंदिर कंबोडिया को दे दिया था, लेकिन उसके आसपास का 4.6 वर्ग किलोमीटर इलाका आज भी विवादित है.
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जुलाई में थाईलैंड का कहना था कि कंबोडिया ने उसके इलाके में ड्रोन उड़ाए, जिसे उसने उकसावा माना. इसके जवाब में थाईलैंड ने 6 F-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया के सैन्य कैंपों पर हमला कर दिया. कंबोडिया ने आत्मरक्षा के लिए रॉकेट लॉन्चर से पलटवार किया.
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थाईलैंड की सेना हर क्षेत्र में कंबोडिया से कहीं आगे है, खासकर हवाई ताकत में.
पुराना सीमा विवाद फिर भड़क गया है. थाईलैंड को लगा कंबोडिया ड्रोन से उसकी जासूसी कर रहा है. थाईलैंड को अपनी बेहतर वायु सेना पर पूरा भरोसा था कि कंबोडिया जवाब नहीं दे पाएगा. थाईलैंड क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाना चाहता है.
दोनों देश दक्षिण-पूर्व एशिया (ASEAN) के सदस्य हैं. यहां अस्थिरता भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को नुकसान पहुंचा सकती है. कंबोडिया चीन का बहुत करीबी दोस्त है. चीन से हथियार लेता है. यह झड़प चीन की क्षेत्रीय ताकत पर भी सवाल उठाती है. भारत को इस मौके पर दोनों देशों से अपने रिश्ते और मजबूत करने चाहिए.
ऋचीक मिश्रा