न अमेरिका पर रहेगी निर्भरता, न किसी और देश पर... फाइटर जेट के स्वदेशी इंजन का प्रोजेक्ट साफरान कितना अहम?

साफरान के साथ भारत 61000 करोड़ का प्रोजेक्ट स्वदेशी फाइटर जेट इंजन बनाएगा. यह 120 kN थ्रस्ट वाला इंजन AMCA के लिए होगा. 10 साल में पूरा होने वाला यह समझौता विदेशी निर्भरता खत्म करेगा. साफरान 100% तकनीक हस्तांतरित करेगा, जिससे भारत आत्मनिर्भर बनेगा. यह रक्षा, निर्यात और आर्थिक विकास के लिए ऐतिहासिक कदम है.

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साफरान इंजन बनाता कंपनी का एक कर्मचारी. (File Photo: AFP) साफरान इंजन बनाता कंपनी का एक कर्मचारी. (File Photo: AFP)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

भारत हमेशा से अपने फाइटर जेट इंजन को स्वदेशी बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि अमेरिका या अन्य देशों पर निर्भरता खत्म हो. हाल ही में फ्रांस की कंपनी साफरान (Safran) के साथ 120 kN थ्रस्ट वाले इंजन के विकास का समझौता हुआ है, जो एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए बनेगा. 

यह प्रोजेक्ट 61,000 करोड़ रुपये का है. 10 साल में पूरा होगा. आइए, समझतें हैं कि यह प्रोजेक्ट भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है? 

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भारत की इंजन समस्या: विदेशी निर्भरता

भारत के फाइटर जेट्स जैसे तेजस, सुखोई-30 और राफेल में ज्यादातर इंजन विदेशी हैं. तेजस में GE F404 (अमेरिका) और सुखोई में AL-31FP (रूस) लगे हैं. कावेरी इंजन प्रोजेक्ट 1980 के दशक से चल रहा है, लेकिन यह 90-100 kN थ्रस्ट नहीं दे पाया.

कावेरी को तेजस से अलग कर दिया गया. अब इसका डेरिवेटिव वर्जन ड्रोन (Ghatak UCAV) के लिए इस्तेमाल हो रहा है. कावेरी पर 35 साल और 400 मिलियन डॉलर खर्च हुए, लेकिन तकनीकी चुनौतियां (जैसे सिंगल क्रिस्टल ब्लेड और थर्मल कोटिंग) ने इसे रोक दिया.

इस निर्भरता से समस्या बढ़ी. 2021 में GE F404 इंजन की डिलीवरी में देरी हुई, जिससे तेजस Mk1A प्रोडक्शन रुका. रूस-यूक्रेन युद्ध ने AL-31FP की सप्लाई प्रभावित की. AMCA (5th जेनरेशन स्टील्थ फाइटर) के लिए 110-120 kN इंजन चाहिए, जो स्वदेशी न होने से देरी हो रही है. साफरान प्रोजेक्ट इसी समस्या का समाधान है.

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साफरान प्रोजेक्ट: क्या है और कैसे काम करेगा?

साफरान (फ्रांस की कंपनी, जो राफेल के M88 इंजन बनाती है) के साथ यह प्रोजेक्ट 22 अगस्त 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषित किया. यह 120 kN थ्रस्ट वाला टर्बोफैन इंजन AMCA Mk2 के लिए बनेगा. लागत 7 बिलियन डॉलर (लगभग 61,000 करोड़ रुपये) है. 100% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगा.

समझौते की मुख्य बातें

  • 10 साल का विकास: 2035 तक इंजन तैयार. AMCA के साथ एकीकृत.
  • सह-विकास: GTRE (DRDO का लैब) और साफरान मिलकर डिजाइन करेंगे.
  • स्वदेशी निर्माण: भारत में ही इंजन बनेंगे, जिसमें सिंगल क्रिस्टल ब्लेड, थर्मल बैरियर कोटिंग और एडवांस्ड कॉम्बस्टर जैसी तकनीकें शामिल.
  • निर्यात संभावना: AMCA के साथ निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि स्वदेशी इंजन से लागत कम होगी.

रक्षा मंत्रालय ने साफरान को चुना क्योंकि इसका प्रस्ताव सबसे फायदेमंद था. अमेरिका की GE और ब्रिटेन की Rolls-Royce भी दौड़ में थे, लेकिन साफरान ने 100% ट्रांसफर और कावेरी से लिंकेज का वादा किया. साफरान पहले कावेरी पर सहयोग कर चुकी है (2016 में €1 बिलियन का ऑफर).

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विदेशी निर्भरता खत्म: कावेरी की असफलता के बाद भारत GE, Safran और Rolls-Royce पर निर्भर था. अब AMCA, TEDBF और भविष्य के फाइटर जेट्स के लिए स्वदेशी इंजन मिलेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह 5th जेनरेशन फाइटर के लिए बड़ा कदम है.

AMCA प्रोग्राम को गति: AMCA (5th जेनरेशन स्टील्थ फाइटर) 2035 तक तैयार होगा. पहले GE F414 इंजन इस्तेमाल होगा, लेकिन साफरान इंजन से AMCA Mk2 स्वदेशी बनेगा. लागत 15,000 करोड़ रुपये की और 5 प्रोटोटाइप बनेंगे.

तकनीकी आत्मनिर्भरता: इंजन सबसे जटिल भाग है. साफरान से 100% ट्रांसफर मिलने से भारत सिंगल क्रिस्टल ब्लेड, लेजर ड्रिलिंग और हॉट-एंड कोटिंग जैसी तकनीक सीखेगा. कावेरी का अनुभव (49 kN थ्रस्ट) साफरान प्रोजेक्ट को मदद करेगा.

आर्थिक और निर्यात लाभ: इंजन 40% लागत होता है. स्वदेशी इंजन से AMCA सस्ता बनेगा. निर्यात बढ़ेगा. HAL और GTRE को नया बिजनेस मिलेगा. MSMEs को भी अवसर.

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रणनीतिक सुरक्षा: युद्ध या प्रतिबंध के समय विदेशी इंजन की सप्लाई रुक सकती है. स्वदेशी इंजन से भारत सुरक्षित रहेगा.

चुनौतियां और भविष्य

प्रोजेक्ट में चुनौतियां हैं: फंडिंग (केवरी पर 35 साल में $400 मिलियन खर्च, लेकिन असफल), तकनीकी जटिलताएं और समय (10 साल). लेकिन साफरान का अनुभव (M88 इंजन) मदद करेगा. कावेरी डेरिवेटिव इंजन अब ड्रोन (Ghatak UCAV) के लिए इस्तेमाल हो रहा है. भविष्य में कावेरी 2 (90-110 kN) और कावेरी 3 (125 kN) साफरान से प्रेरित होंगे. 2025 में साफरान हैदराबाद में मेंटेनेंस सेंटर खोलेगा.

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