फील्ड मार्शल मुनीर की चौतरफा चुनौती... पाकिस्तानी सेना ने खुद को फंसा लिया

पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को अफगानिस्तान में TTP ठिकानों पर हवाई हमले किए. तालिबान FM की दिल्ली यात्रा के दौरान ये काबुल पर पहला हमला था. TTP ने 2025 में 900 पाक सैनिक मारे. बलूचिस्तान-खैबर में बगावत हो रही है. भारत-अफगानिस्तान से दो फ्रंट बना हुआ है. ट्रंप बगराम मांग रहे हैं. सेना का दोहरा खेल उल्टा पड़ा.

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21 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए सैनिकों के लिए दुआ मांगते आसिम मुनीर. (File Photo: AFP) 21 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए सैनिकों के लिए दुआ मांगते आसिम मुनीर. (File Photo: AFP)

संदीप उन्नीथन

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

पाकिस्तान की सेना हमेशा से मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट बनने की कोशिश करती रही है. लेकिन अब फील्ड मार्शल आसिम मुनिर के हाथ-पांव फूल गए हैं. एक तरफ भारत और अफगानिस्तान से दोहरी धमकी, दूसरी तरफ बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में दो आंतरिक बगावतें. ये 'चौतरफा चुनौती' पाकिस्तान की फौज को चारों तरफ से घेर रही है. ये सब पाकिस्तानी सेना की पुरानी चालाकी का नतीजा है. सालों से दोहरा खेल खेलने की सजा मिल रही है. 

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अफगानिस्तान पर हवाई हमले: तालिबान को उकसाया, खुद फंस गए

9 अक्टूबर की रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और दूसरे शहरों पर हवाई हमले किए. ये हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर थे. पाकिस्तान का दावा है कि TTP अफगानिस्तान में सुरक्षित ठिकानों से हमले करता है. TTP का सरगना मुफ्ती नूर वली मेहसूद मुख्य निशाना था.

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मेहसूद ने 2018 में US ड्रोन हमले में मारे गए मौलाना फजलुल्लाह के बाद TTP को एकजुट किया. 2025 में अब तक TTP ने 900 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला. 7 अक्टूबर को ओरकजई जिले में TTP ने काफिले पर हमला कर 17 सैनिकों समेत एक लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर को मार गिराया.

ये हमले पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार काबुल पर थे. संयोग से, इसी दिन तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी की दिल्ली यात्रा शुरू हुई. ये तालिबान और भारत के बीच सबसे ऊंचे स्तर की बातचीत थी. पाकिस्तान ने ये हमले तालिबान को धमकाने के लिए किए, लेकिन ये उल्टा पड़ सकता है.

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तालिबान जवाबी कार्रवाई कर सकता है. 2024 में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में छोटे ड्रोन हमले किए थे, लेकिन ये बड़े स्तर के हैं. इससे अफ-पाक रिश्ते और बिगड़ेंगे. पाकिस्तान की फौज सोचती थी कि तालिबान उसके रणनीतिक गहराई का हथियार बनेगा, लेकिन अब तालिबान खुद दुश्मन लग रहा है.

दोहरी बाहरी धमकियां: भारत और अफगानिस्तान से जंग

पाकिस्तान की फौज को दो सीमाओं पर सैनिक तैनात करने पड़ रहे हैं – भारत और अफगानिस्तान. भारत से तो पुरानी दुश्मनी है. मई 2025 के 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. उसके बाद पाकिस्तान ने अमेरिका से AIM-120C5 AMRAAM मिसाइलें मांगीं, जो F-16 जेट्स पर लगेंगी. लेकिन ये सिर्फ पुरानी क्षमता बनाए रखने के लिए हैं, नई ताकत नहीं. फिर भी, भारत के लिए सतर्कता जरूरी.

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अफगानिस्तान से TTP की समस्या ने पाकिस्तान को फंसा दिया. पाकिस्तान तालिबान को शरण देता रहा, लेकिन अब तालिबान TTP को शरण दे रहा है. खोस्त और पक्तिका प्रांतों से TTP पाकिस्तान पर हमले करता है. 2021 में US वापसी के बाद पाकिस्तान ने 3 लाख अफगान शरणार्थियों को निकाला. 2024 में ड्रोन हमलों में 46 अफगान मारे गए, ज्यादातर नागरिक थे. ये रिश्ता अब टूट चुका है. पाकिस्तान ने तालिबान को पाल-पोसकर खुद को बेवकूफ बनाया. अब दो फ्रंट पर जंग लड़नी पड़ रही है.

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आंतरिक बगावतेंः बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में आग

बाहरी दुश्मनों के अलावा, पाकिस्तान के अंदर दो बगावतें भड़क रही हैं. बलूचिस्तान में बलूच विद्रोही अलगाव चाहते हैं. वे चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर हमले करते हैं. खैबर-पक्तूनख्वा में TTP और दूसरे कट्टरपंथी सक्रिय हैं. 2025 TTP का सबसे खूनी साल है – 2009 के बाद पहली बार 1000 से ज्यादा सैनिक मारे गए.

GHQ रावलपिंडी के जनरलों के लिए ये 'टू-फ्रंट नाइटमेयर' है. सैनिकों को बॉर्डर पर तैनात रखना और अंदर की जंग लड़ना – दोनों एक साथ मुश्किल. ये पाकिस्तानी सेना की पुरानी गलती का फल है. 2001-2021 के 'वॉर ऑन टेरर' में पाकिस्तान ने US की मदद ली, लेकिन तालिबान और अल-कायदा को शरण दी. ओसामा बिन लादेन 2011 में अबोटाबाद में मारा गया, जो आर्मी अकादमी के पास था. ये दोहरा खेल अब उल्टा पड़ रहा है.

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अमेरिका का खेल: ट्रंप की नोबेल दौड़ और पाकिस्तान का फायदा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान में वापसी चाहते हैं. सितंबर में उन्होंने बगराम एयरबास मांगा, जो सोवियत काल का बड़ा बेस था. मॉस्को फॉर्मेट (भारत, चीन, रूस) ने इसका विरोध किया. अमेरिका पाकिस्तान की फौज पर भरोसा कर रहा है. पाकिस्तान US से फंड और हथियार लेगा, जैसे 1980 में जिया-उल-हक ने F-16 लिए. मुशर्रफ ने 2006 में AMRAAM मिसाइलें खरीदीं. अब मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद नई AMRAAM मंजूर कराईं.

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पाकिस्तान US को रेयर अर्थ मिनरल्स और पासनी पोर्ट का ऑफर दे रहा है, जो सेंट्रल एशिया के 5 संसाधन-समृद्ध देशों का कॉरिडोर बनेगा. लेकिन TTP हमले और अफगान तनाव इससे सब बिगाड़ देंगे. पाकिस्तान फिर US का मोहरा बनेगा. ट्रंप नोबेल पीस प्राइज के लिए मध्यस्थता करेंगे, लेकिन पाकिस्तान की फौज सिर्फ भारत को रोकने के हथियार खरीदेगी. ये 'न्यू अफ-पाक ग्रेट गेम' में पाकिस्तान हारने वाला है.

भारत के लिए सीख: सतर्क रहें, लेकिन मजबूत बने रहें

भारत के लिए ये संकट अच्छी खबर है. तालिबान FM की दिल्ली यात्रा दिखाती है कि हम अफगानिस्तान से रिश्ते सुधार रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान की बेचैनी भारत पर असर डालेगी – बॉर्डर पर तनाव बढ़ सकता है. भारत को अपनी सेना को और मजबूत करना चाहिए. S-400, राफेल अपग्रेड और क्वाड से सहयोग लें. पाकिस्तान की तरह दोहरा खेल न खेलें – सीधी डिप्लोमेसी और मजबूत बॉर्डर ही रास्ता है.

पाकिस्तान की चालाकी उल्टी पड़ी

फील्ड मार्शल मुनीर के पास चारों तरफ संकट हैं. ये पाकिस्तानी सेना की पुरानी धोखेबाजी का बदला लगता है. सालों से भारत को घेरने की कोशिश की, लेकिन अब खुद घिर गए. दुनिया देख रही है कि दोहरा खेल लंबा नहीं चलता.  

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