एक ऐसी मिसाइल जो दुश्मन की नजरों से बचकर चुपके से हमला कर दे. ये अमेरिका की नई AGM-181 LRSO मिसाइल है. इसे लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ भी कहते हैं. हाल ही में कैलिफोर्निया में एक प्लेनस्पॉटर ने इसे पहली बार पकड़ा. पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) ने इसे गुप्त रखा था, लेकिन अब ये राज खुल गया.
LRSO एक क्रूज मिसाइल है, जो हवा से छोड़ी जाती है. ये न्यूक्लियर हथियार ले जाती है. इसका मतलब? ये दूर से ही दुश्मन के इलाके में घुसकर धमाका कर सकती है, बिना किसी लड़ाकू विमान को खतरे में डाले. पुरानी AGM-86B मिसाइल को ये बदलने वाली है, जो 1982 से इस्तेमाल हो रही है.
यह भी पढ़ें: सूख रहा तेहरान... पानी की राशनिंग शुरू, राष्ट्रपति बोले- खाली कराना पड़ सकता है शहर
ट्रंप के समय (2017-2021) इसका विकास तेज हुआ. रेथियन कंपनी ने इसे बनाया. अभी ये टेस्टिंग में है. 2030 तक ये पूरी तरह तैयार हो जाएगी. पहली बार जून 2025 में इसका चित्र जारी हुआ. ये B-52 बॉम्बर के नीचे लटकी दिखी. जल्द ही ये B-21 रेडर (अमेरिका का नया स्टेल्थ बॉम्बर) पर भी तैनात होगी.
संदेश साफ है: रूस और चीन को चेतावनी – कि अमेरिका की ताकत बढ़ गई.
ये मिसाइल स्टेल्थ है, यानी अदृश्य. रडार इसे आसानी से नहीं पकड़ पाते.
यह भी पढ़ें: PAK सीमा के पास तीनों सेनाओं का 'त्रिशूल' एक्सरसाइज... फ्यूचर वॉर की तैयारी में सेना
ये स्पेसिफिकेशन इसे पुरानी मिसाइलों से बेहतर बनाते हैं. ये दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम (IADS) को चकमा दे सकती है. मतलब, ये 500 मील ऊपर से चुपके से हमला करेगी. दुश्मन को पता भी नहीं चलेगा.
कल्पना कीजिए: B-52 बॉम्बर दुश्मन के समंदर के किनारे पर उड़ता है. पायलट बटन दबाता है. मिसाइल छूटती है. ये कम ऊंचाई पर उड़ती है, रडार से बचते हुए. GPS और मैपिंग से सही रास्ता चुनती है. टारगेट पर पहुंचकर धमाका. यील्ड बदल सकते हैं – छोटा धमाका शहर को नुकसान पहुंचाए, बड़ा हुआ तो ज्यादा नुकसान. ये डिटरेंस के लिए है, यानी डराने के लिए. जंग न हो, इसलिए दुश्मन सोचेगा – हमला मत करो, जवाब भयानक होगा.
ट्रंप के पिछले राष्ट्रपति काल में इसे मंजूरी मिली. बजट गुप्त था. 2020 में पहला कॉन्ट्रैक्ट रेथियन को दिया गया. 2025 में पहली फ्लाइट टेस्ट. जून में पहला फोटो लीक. पेंटागन कहता है – ये पुरानी मिसाइलों को अपग्रेड करेगा. रूस के हाइपरसोनिक हथियारों और चीन की मिसाइलों का जवाब है ये.
aajtak.in