एक नई अमेरिकी रिपोर्ट ने दावा किया है कि चीन ने मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए छोटे संघर्ष को अपने नए सैन्य हथियारों का परीक्षण और प्रचार करने के लिए इस्तेमाल किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने इस मौके का फायदा उठाकर अपने हथियारों की ताकत दिखाई, लेकिन खुद संघर्ष में सीधे शामिल नहीं हुआ.
यह रिपोर्ट अमेरिका की कांग्रेस की एक समिति, यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के संघर्ष को एक जीवंत परीक्षण मैदान की तरह इस्तेमाल किया. इससे चीन को अपने हथियारों के बारे में असली डेटा मिला. वह उन्हें दुनिया में बेचने के लिए प्रचार कर सका.
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रिपोर्ट में लिखा है कि बीजिंग ने इस संघर्ष का फायदा उठाया ताकि अपने हथियारों की ताकत और ऑथेंटिसिटी की परीक्षण और विज्ञापन कर सके. यह चीन की भारत के साथ सीमा विवाद और उसकी बढ़ती रक्षा उद्योग की महत्वाकांक्षाओं के लिए उपयोगी था.
यह संघर्ष 7 से 10 मई 2025 तक चला. यह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से शुरू हुआ. 26 आम नागरिक मारे गए. भारत ने इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान के हैंडलर्स को ठहराया. ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी शिविरों पर हमला किया.
पाकिस्तान ने जवाब में मिसाइल और ड्रोन से हमला किया, लेकिन भारत ने उन्हें रोक लिया या नष्ट कर दिया. फिर भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के कई एयरफील्ड को नष्ट कर दिया. खिरकार, 10 मई को युद्धविराम हो गया. यह दो परमाणु हथियारों वाले पड़ोसी देशों के बीच सालों में सबसे तीव्र संघर्ष था.
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रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार था जब चीन के आधुनिक हथियारों - जैसे HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल और J-10 फाइटर जेट - को असली युद्ध में इस्तेमाल किया गया. इससे चीन को इन हथियारों का असली परीक्षण करने का मौका मिला.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जून 2025 में चीन ने पाकिस्तान को 40 J-35 पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट, KJ-500 विमान और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम बेचने का प्रस्ताव दिया.
संघर्ष के बाद, चीन के दूतावासों ने सार्वजनिक रूप से अपने हथियारों की सफलता का प्रचार किया. वे कहते थे कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन के हथियारों ने अच्छा प्रदर्शन किया. इससे चीन अपने हथियारों की बिक्री बढ़ाना चाहता था.
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संघर्ष के बाद चीन ने फ्रेंच राफेल फाइटर जेट को बदनाम करने के लिए एक गलत सूचना का अभियान चलाया. फ्रांस की इंटेलिजेंस के अनुसार, चीन ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल किया ताकि राफेल की बिक्री रुक जाए. उसके खुद के J-35 जेट की बिक्री बढ़े.
वे एआई और वीडियो गेम की तस्वीरों का इस्तेमाल करके दिखाते थे कि चीन के हथियारों ने राफेल विमानों को नष्ट कर दिया. रिपोर्ट में लिखा है कि चीन ने फ्रेंच राफेल की बिक्री रोकने के लिए गलत सूचना का अभियान शुरू किया और फर्जी अकाउंट्स से एआई और गेम इमेजेस फैलाईं जो कथित रूप से नष्ट हुए विमानों के मलबे की थीं.
आज तक डिजिटल ने मई में सबसे पहले बताया था कि चीन के हथियारों का भारत-पाकिस्तान संघर्ष में पहली बार युद्ध परीक्षण हुआ. अब अमेरिकी रिपोर्ट ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. यह रिपोर्ट समिति की सुनवाई और शोध पर आधारित है, जिसमें सार्वजनिक जानकारी और मीडिया रिपोर्ट्स शामिल हैं.
इससे पता चलता है कि चीन कैसे क्षेत्रीय संघर्षों का फायदा उठाकर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है. यह घटना भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है. भारत पहले से ही चीन के साथ सीमा पर तनाव का सामना कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्क रहना चाहिए.
ऋचीक मिश्रा