पश्चिम बंगाल में सात ठिकानों पर ED की छापेमारी, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

ED ने तलाशी अभियान के दौरान, कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और 13.45 लाख रुपये की नकदी जब्त की है. परिणामस्वरूप, बांग्लादेशी नागरिक अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद को गिरफ्तार किया गया है.

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ED की टीम ने सात जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई की (File Photo) ED की टीम ने सात जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई की (File Photo)

दिव्येश सिंह

  • कोलकाता,
  • 16 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय ने 15 अप्रैल 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत पश्चिम बंगाल में सात ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया. यह मामला बांग्लादेशी नागरिक अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद से संबंधित है. 

तलाशी अभियान के दौरान, कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और 13.45 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई. परिणामस्वरूप, अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद को 15 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया और उसे विशेष न्यायालय, बिचार भवन, कोलकाता के समक्ष पेश किया गया. स्पेशल कोर्ट ने 13 दिन के लिए ED को आरोपी की कस्टडी दे दी.

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ईडी ने विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14 और 14 ए के तहत अजाद मलिक और अज्ञात अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद पुत्र मोना मलिक, एक बांग्लादेशी नागरिक है, जो वैध दस्तावेजों के बिना भारत में रह रहा है और पैसे के बदले में अवैध प्रवासियों के लिए धोखाधड़ी के माध्यम से भारतीय पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज बनाने में शामिल है. 

ईडी की जांच में पता चला है कि अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद, उनकी स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स मलिक ट्रेडिंग कॉरपोरेशन और अन्य सहयोगियों के नाम पर कई बैंक खाते खोले गए हैं; और वे बांग्लादेशी नागरिकों के लिए धोखाधड़ी से प्राप्त पहचान दस्तावेजों जैसे मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, आधार कार्ड आदि की व्यवस्था करने के व्यवसाय में शामिल हैं, जिसके माध्यम से अपराध की आय (पीओसी) उत्पन्न की गई और उसे लूटा गया. 

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यह भी पता चला कि 2018 से 2024 की अवधि के दौरान उनके निजी खातों और उनकी प्रोपराइटरशिप फर्म में काफी नकदी जमा की गई थी. ईडी की जांच में पता चला कि अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद का परिवार, जिसमें उनके दो बेटे ओसामा बिन आजाद, उमर फारुक और उनकी पत्नी मयमुना अख्तर शामिल हैं, जो अभी भी बांग्लादेश में रह रहे हैं और बांग्लादेश के नागरिक हैं. 

साथ ही पता चला है कि वह अपने परिवार से मिलने के लिए अक्सर बांग्लादेश जाता है. ईडी की जांच में आगे पता चला कि वह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए भारतीय सरकार के आईडी प्रूफ की व्यवस्था करने के बदले में प्राप्त धन को निकालने के लिए हवाला लेनदेन में शामिल था, जिससे पीओसी बन गया. जांच से यह भी पता चला है कि अजाद मलिक उर्फ ​​अहमद हुसैन आजाद विभिन्न व्यक्तियों को अनधिकृत मुद्रा विनिमय सेवाएं प्रदान कर रहा है. इस मामले में आगे की जांच जारी है.
 

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