नोटबंदी पर सरकार के तर्क से सहमत नहीं था RBI, आरटीआई में खुलासा

नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार की ओर से जो तर्क दिए गए थे उससे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सहमत नहीं था.

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 RBI ने किया था आगाह RBI ने किया था आगाह

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 11 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST

नोटबंदी के फैसले को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मोदी सरकार को आगाह किया था. दरअसल, आरबीआई इस तर्क से सहमत नहीं था कि काले धन का लेनदेन कैश के जरिए होता है. आरबीआई का मानना था कि काला धन कैश के बजाए सोना और रियल एस्‍टेट जैसी संपत्तियों में लगा है. यह जानकारी सूचना के अधिकार कानून के तहत आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक को मिली है. उन्‍होंने यह जानकारी कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) की वेबसाइट पर डाली है.  

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आरबीआई के निदेशक मंडल की हुई थी बैठक

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से हटाने की घोषणा की थी. लेकिन इस ऐलान के कुछ घंटों पहले 5.30 बजे शाम को दिल्‍ली में आरबीआई के निदेशक मंडल की 561वीं बैठक हुई थी. इस बैठक में नोटबंदी के फैसले को लेकर आरबीआई ने सरकार के तर्क से असहमति जताई गई थी. आरबीआई के निदेशक मंडल का मानना था कि अधिकांश काला धन नकदी के तौर पर नहीं बल्कि रियल एस्टेट और सोने जैसी संपत्तियों में लगा है. ऐसे में नोटबंदी का इन संपत्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

क्‍या था सरकार का तर्क

नोटबंदी के फैसले के पीछे सरकार ने तर्क दिया था कि पहले के मुकाबले 500 और 1,000 रुपये के नोटों का चलन क्रमश: 76.38 फीसदी और 108.98 फीसदी बढ़ गया है. सरकार ने राजस्व विभाग के श्वेत पत्र का हवाला देते हुए कहा कि काले धन का लेनदेन कैश में होता है. सरकार ने इस बात का भी जिक्र किया कि जाली नोट भी बढ़कर करीब 400 करोड़ रुपये के करीब हो गए हैं. हालांकि आरबीआई सरकार के तर्क से सहमत नहीं था. इसके साथ ही निदेशक मंडल ने नोटबंदी को सराहनीय कदम तो बताया था लेकिन इससे अल्पावधि में सकल घरेलू उत्पाद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की भी बात कही थी. निदेशक मंडल ने कहा था कि सरकार कैश के उपयोग को कम करने के कदम उठा सकती है.

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कौन-कौन था शामिल

बता दें कि इस बैठक की अध्‍यक्षता उर्जित पटेल ने की थी. उर्जित पटेल ने बीते दिसंबर महीने में कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्‍तीफा दे दिया था. वहीं वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास भी इस बैठक में शामिल हुए थे, तब वह आर्थिक मामलों के सचिव थे. इसके अलावा डिप्टी गवर्नर आर गांधी, एसएस मुंदड़ा ने भी बैठक में शिरकत की थी. हालांकि निदेशक मंडल के एक अन्‍य सदस्य एन चंद्रशेखरन बैठक में अनुपस्थित रहे. चंद्रशेखरन अभी टाटा संस के चेयरमैन हैं.

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