भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर ने बड़ा रिकॉर्ड बनाया है. अप्रैल-जून 2025 में 28 प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों ने ₹53,000 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी बेची है. यह आंकड़ा न केवल बाजार की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि एक सवाल भी उठाता है कि इस रिकॉर्ड बिक्री का असली कारण क्या है, और ये खरीदार कौन हैं? इस उछाल से पता चलता है कि मकानों की मांग, खासकर लग्जरी और प्रीमियम प्रोजेक्ट्स में, लगातार बनी हुई है, क्योंकि महामारी के बाद लोग ब्रांडेड बिल्डर्स को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
बेंगलुरु की प्रेस्टीज एस्टेट्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड इस तिमाही में 12,126.4 करोड़ रुपये की प्री-सेल्स के साथ टॉप पर रही, क्योंकि उनके होम मार्केट में जबरदस्त डिमांड थी. उसके ठीक पीछे देश की सबसे बड़ी रियल्टी कंपनी (मार्केट वैल्यू के हिसाब से) डीएलएफ लिमिटेड रही, जिसने 11,425 करोड़ रुपये की सेल्स बुकिंग की, खासकर गुरुग्राम में लग्जरी घरों की वजह से.
मुंबई की गोदरेज प्रॉपर्टीज ने 7,082 करोड़ रुपये की बुकिंग के साथ तीसरा स्थान हासिल किया, इसके बाद लोढ़ा डेवलपर्स 4,450 करोड़ रुपये और दिल्ली-एनसीआर की सिग्नेचर ग्लोबल 2,640 करोड़ रुपये के साथ रही. इन टॉप पांच डेवलपर्स ने मिलकर 28 लिस्टेड रियल्टर्स की कुल सेल्स बुकिंग में 71 प्रतिशत का बड़ा योगदान दिया.
बिक्री के रिकॉर्ड के पीछे का राज यह है कि भले ही कम घर बिके, लेकिन उनकी कीमतें बढ़ गईं. अप्रैल-जून 2025 में 93,280 घर बिके, जो पिछले साल की तुलना में कम है, लेकिन बिक्री का कुल मूल्य 9% बढ़ गया और घरों की औसत कीमत 14% बढ़कर ₹1.42 करोड़ हो गई. इसका मतलब है कि लोग ज्यादा महंगे घर खरीद रहे हैं, न कि ज्यादा घर. यह बाजार में एक "प्रीमियमकरण" की प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां लोग लग्जरी और महंगी संपत्तियों को पसंद कर रहे हैं. लोग अब सस्ते घरों की बजाय महंगे और अच्छे घरों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं.
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इस सेल के पीछे अलग-अलग तरह के खरीदार हैं, जो अपनी जरूरतों और जीवनशैली के आधार पर घर खरीद रहे हैं. खासकर खाड़ी देशों से आने वाले NRI अब बड़े खरीदार बन गए हैं, वे अब भावनाओं से नहीं, बल्कि सोच-समझकर निवेश करते हैं. वे सलाहकारों की मदद लेते हैं और किराए की आय, संपत्ति की कीमत और बुनियादी ढांचे के आधार पर प्रोजेक्ट चुनते हैं. भारतीय रुपये की कमजोरी (1 USD = ₹83-84) उनकी खरीदने की ताकत बढ़ाती है. RERA जैसे नियमों ने भी बाजार में पारदर्शिता बढ़ाई है, जिससे उनका भरोसा बढ़ा है.
पैसे वाले लोग और लग्जरी खरीदार
उच्च-आय वाले लोग और धनी परिवार भी इस वृद्धि का बड़ा कारण हैं. 2024 में ₹2.5 करोड़ से ज्यादा कीमत वाले घरों की आपूर्ति 66% बढ़ी. ये खरीदार लग्जरी घर चाहते हैं, जिनमें योग क्षेत्र, ध्यान कक्ष और ज़ेन गार्डन जैसी सुविधाएं हों. वे समय पर तैयार होने वाले प्रोजेक्ट और अच्छे डेवलपर्स को चुनते हैं.
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युवा और मध्यम वर्ग
मध्यम वर्ग के युवा खरीदार भी घर खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. उनके लिए EMI और किराया लगभग बराबर है, इसलिए वे 1BHK/2BHK घर खरीदना पसंद करते हैं.
मेट्रो और सड़क नेटवर्क जैसे प्रोजेक्ट्स ने मुंबई, बेंगलुरु, और दिल्ली-NCR के बाहरी इलाकों में मांग बढ़ाई. बेहतर कनेक्टिविटी से ठाणे जैसे उपनगरों में कीमतें बढ़ी हैं. लोग अब वहां कम कीमत में बेहतर जीवनशैली और जगह पाते हैं. RERA ने पारदर्शिता बढ़ाई, जिससे खरीदारों का भरोसा बढ़ा. इससे प्रोजेक्ट समय पर पूरे होते हैं, और निवेश सुरक्षित होता है.
लग्जरी बाजार में अब घर नहीं, बल्कि एक अनुभव खरीदा जा रहा है. पुराणिक ग्रुप की 'मिराई' और 'टोक्यो बे' जैसी जापानी थीम वाली परियोजनाएं इसका उदाहरण हैं. इनमें ज़ेन गार्डन, चाय घर, और ध्यान क्षेत्र जैसी सुविधाएं हैं. खरीदार अब पहचान और अनुभव चाहते हैं.
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