ग्रेटर नोएडा वेस्ट की Vihaan Greens सोसायटी के सैकड़ों लोगों ने लग्जरी फ्लैट में रहने का सपना देखा था और लाखों रुपये देकर अपना घर खरीदा. बिल्डर ने लोगों को सुपर लग्जरी सुविधाएं देने का वादा किया था, लेकिन अपने घर में शिफ्ट होने के बाद लोगों को बड़ा झटका लगा, जब उन्हें कोई सुविधा नहीं मिली. मेंटेनेंस चार्ज देने के बाद भी लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.
बेसमेंट में कहीं जलभराव है, कहीं कचरे का ढेर लगा है. लोगों का आरोप है कि लिफ्ट भी अक्सर खराब पड़ी रहती है, बिल्डर से शिकायत करने के बावजूद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो लोग अब मजबूर होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस सोसायटी में फ्लैट की शुरुआती कीमत ही 75 लाख रुपये है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है.
इस सोसायटी में रहने वाली द्रक्षा बताती हैं- ' बेसमेंट में हमेशा पानी भरा रहता है, शिकायतों के बाद भी यहां सफाई नहीं होती. हमारे लाख कहने पर भी बिल्डर ने कोई एक्शन नहीं लिया है. गंदे पानी की वजह मच्छर आते हैं. ये बेसमेंट हमारे लिए बीमारी का घर बन गया है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की अनुपस्थिति से स्थिति और खराब हो जाती है, जिसके कारण असहनीय बदबू फैलती है, खासकर ग्राउंड फ्लोर के निवासियों के लिए हमेशा दिक्कत रहती है. यह बीमारी का भी घर है और हम उसके लिए कुछ कर नहीं पा रहे हैं. लग्जरी के नाम पर हमें गार्बेज दे रखा है. लिफ्ट भी हमेशा खराब रहती है. लोगों को बहुत परेशानी रहती है.'
लोगों का आरोप है कि उनसे भारी भरकम मेंटनेंस चार्ज के लिए. प्रति माह ₹10,000 तक लिया जाता है. कुछ लोगों से एक साल का शुल्क एंडवास लिया गया है फिर भी सोसायटी का रखरखाव दयनीय है.
सोसायटी में रहने वाले दिनेश बताते हैं- 'यहां सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है. डीजी सेट ओपन पड़ा है, बच्चे यहां पार्क में खेलते हैं, कभी कोई बच्चा अंदर जा सकता है. जिसके कभी भी कोई हादसा हो सकता है. दो साल में कोई मॉक फायर ड्रिल नहीं हुई, हाल ही में किसी के घर आग लगी तो लोगों ने मिलकर बुझाया, क्योंकि सोसायटी के फायर एक्सटिंग्विशर काम नहीं कर रहे थे, और दमकल की गाड़ी देर से पहुंचीं, वहीं सिक्योरिटी के नाम पर सिर्फ दो गार्ड खड़े रहते हैं.
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एक और खरीदार हिमांशु बताते हैं- 'हम लोगों को बताया गया था कि यहां स्विमिंग पूल, जिम और क्लब हाउस जैसी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन स्विमिंग पूल सूखा पड़ा है, जबकि पार्किंग में पानी भरा रहता है. जहां जिम और दूसरी सुविधाएं होनी थीं, अब कचरे का अड्डा बन गया है. बाउंड्री वॉल भी टूटी है, खासकर आईजीएल पाइपलाइन जैसे खतरनाक इलाकों में, जिससे सुरक्षा का बड़ा खतरा है. कई टावरों को अभी तक ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) नहीं मिला.
यहां के घर खरीदारों का आरोप कहना है कि बैंक की ईएमआई भर रहे हैं फिर भी उन्हें ऐसी खराब जगह में रहना पड़ रहा है, क्योंकि ओसी/सीसी नहीं मिला है. बिल्डर ने पजेशन और रजिस्ट्री के वक्त गैरकानूनी पैसे मांगें, जिसके लिए कुछ लोगों को लाखों रुपये अतिरिक्त देने पड़े. नोब्रोकर हुड ऐप या बिल्डर और उनकी थर्ड पार्टी (फ्लैश मैनेजमेंट) से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं हुआ. बिल्डर जिम्मेदारी थर्ड पार्टी पर डालता है, और थर्ड पार्टी कहती है कि उनके पास संसाधन ही नहीं हैं. इस चक्कर में निवासी फंसकर रह गए हैं.
विहान ग्रीन सोसायटी के निवासियों की मुश्किलें अलग-अलग हैं, कुछ को अभी तक पजेशन नहीं मिला, तो कुछ रजिस्ट्री के मसले से जूझ रहे हैं, तो कुछ बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान हैं.
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स्मिता चंद