पटना में कुर्सी पर सोती मिली महिला BLO, कैमरा देख भागी... वोटर वेरिफिकेशन पर ग्राउंड रिपोर्ट

पटना सिटी के एक स्कूल में जब 'बिहार तक' की टीम पहुंची, तो वहां दो महिला BLO और एक पुरुष कर्मचारी मौजूद थे. इनमें से एक महिला BLO खुलेआम कुर्सी पर आराम से सोई हुई मिलीं. जब कैमरे पर यह दृश्य कैद किया जाने लगा, तो उनके पास बैठी दूसरी BLO ने उन्हें हड़बड़ाकर जगाया.

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BLO कुर्सी पर सोते हुई मिलीं- (Photo: Screengrab) BLO कुर्सी पर सोते हुई मिलीं- (Photo: Screengrab)

राजेश कुमार झा

  • पटना,
  • 15 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST

बिहार में इन दिनों मतदाता पुनःनिरीक्षण का कार्य जोरों पर है, लेकिन राजधानी पटना से जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो इस प्रक्रिया की सच्चाई को उजागर करती हैं. सरकार ने दावा किया है कि इस बार केवल उन्हीं लोगों को मतदान करने का अधिकार मिलेगा, जो वास्तव में बिहार के निवासी हैं. इसके लिए हर बूथ पर बीएलओ (BLO) तैनात किए गए हैं, जिन्हें घर-घर जाकर सत्यापन करने का निर्देश दिया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है.

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पटना सिटी के एक स्कूल में जब 'बिहार तक' की टीम पहुंची, तो वहां दो महिला BLO और एक पुरुष कर्मचारी मौजूद थे. इनमें से एक महिला BLO खुलेआम कुर्सी पर आराम से सोई हुई मिलीं. जब कैमरे पर यह दृश्य कैद किया जाने लगा, तो उनके पास बैठी दूसरी BLO ने उन्हें हड़बड़ाकर जगाया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि महिला BLO अचानक जागती हैं और फिर सवालों से बचती नजर आती हैं.

जब उनसे नाम और बूथ संख्या पूछा गया, तो वह कोई जवाब नहीं दे सकीं और वहां से भागती हुई नजर आईं. इतना ही नहीं, वहां मौजूद अन्य BLO भी कैमरा देखकर इधर-उधर हो गए और जवाब देने से कतराते नजर आए.

'वोट नहीं दिया, नाम नहीं जुड़ेगा'
वहीं नाम जुड़वाने पहुंची एक युवा महिला ने बताया कि आज तक कोई BLO उनके घर नहीं आया. उन्होंने कहा, मैं यहां किराये के मकान में अपने माता-पिता के साथ रहती हूं और पहली बार वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने आई हूं. लेकिन BLO कह रहे हैं कि पिछले 10 साल से मेरे परिवार ने वोट नहीं दिया है, इसलिए नाम नहीं जोड़ा जाएगा.'

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यह स्थिति राजधानी पटना की है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य के अन्य जिलों में मतदाता पुनःनिरीक्षण का क्या हाल होगा. सरकार की नीयत भले ही साफ हो, लेकिन जमीनी अमले की लापरवाही लोगों के अधिकारों पर सवाल खड़े कर रही है.

ऐसे में सवाल उठते हैं, क्या सही मायनों में सभी पात्र लोगों को मतदान का अधिकार मिलेगा? 
क्या BLO कर्मचारियों की निगरानी और जवाबदेही तय की जाएगी? और सबसे अहम, क्या लोकतंत्र का यह बुनियादी काम भी सिर्फ कागजों में सीमित होकर रह जाएगा?

बिहार में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की बुनियाद मजबूत करने के लिए जरूरी है कि ऐसे मामलों की गंभीर जांच हो.

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