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Pearl Farming: 'मशरूम लेडी' ने अब मोतियों की खेती से बनाई पहचान, महिलाओं के लिए बनीं मिसाल

मधु ने साल 2018 में अपने मायके हिलसा में फल की खेती शुरू की थी. अब वो मोती की खेती में लाखों की कमाई कर रही हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन अब इसमें सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है. आइए जानते हैं मशरूम लेडी ने अब मोतियों की खेती से कैसे नई पहचान बनाई.

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Pearl farming
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बिहार के नालंदा की बेटी मधु पटेल ने मोती की खेती करके अपनी अलग पहचान बना ली है. वो देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. इससे पहले वो मशरूम लेडी के नाम से मशहूर थीं. उन्हें 20 फरवरी 2021 को सबौर विश्वविद्यालय में इन्नोवेटिव फॉर्मर सम्मान के रूप में सम्मानित किया गया था. मधु पटेल मुख्य रूप से नालंदा जिले के हिलसा अनुमंडल क्षेत्र बाजार के वार्ड संख्या 2 की रहने वाली हैं, उनके पिता माधव पटेल हैं. उन्होंने अपने पति धर्म दत्त सिंह की मदद से 2017 में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर शिफा भुवनेश्वर से ट्रेनिंग ली. 

मधु ने साल 2018 में अपने मायके हिलसा में फल की खेती शुरू की थी. अब वो मोती की खेती में लाखों की कमाई कर रही हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन अब इसमें सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है. मौजूदा वक्त में 4000 मोती तैयार हैं और 15000 तैयार होने के लिए तालाब में डाले हुए हैं. उन्होंने ये भी बताया कि घर के टैंक में भी मोती की खेती की जा सकती है. एक मुखी मोती के लिए डेढ़ लीटर पानी की जरूरत होती है, उसके हिसाब से जितने चाहे मोती रखे जा सकते हैं. ये सिर्फ तीन तरह के होते हैं. 1 साल में तैयार होने वाले डिजाइनर मोती कहलाते हैं. डेढ़ साल में तैयार होने वाले हाफ फ्रॉम मोती और ढाई साल में तैयार होने वाले रोल मोती कहलाते हैं.

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मधु पटेल ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने 2011 में राजगीर के पंडित पुर के पास मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया था. मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में मधु पटेल को बिहार सरकार द्वारा सशक्तिकरण का अवॉर्ड भी मिल चुका है. पटेल ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. महिलाएं चाहें तो हर काम कर सकती हैं, इसके लिए एक जज्बा होना चाहिए और घर के लोगों को सहयोग करना चाहिए. आज के दौर में महिलाएं किसी से पीछे नहीं है. मधु मशरूम और मोती की उपज की ट्रेनिंग भी देती हैं.

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