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Carrot Farming: 90 दिनों से कम में लाखों का मुनाफा, किसान यूं करें गाजर की खेती

देश में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार में गाजर की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. इसकी खेती के लिए 15 से 30 डिग्री का सेल्सियस तापामान फायदेमंद हैं. 15 डिग्री से कम तापमान पर गाजर का रंग हल्का होने की संभावनाएं बनी रहती है.

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Carrot Farming
Carrot Farming

सर्दियों में गाजर का सेवन बड़े स्तर पर किया जाता है. यह इम्युनिटी से भरपूर होती है. इनका इस्तेमाल कच्चा और सब्जी दोनों ही रूप में खाने में किया जाता है. विटामिन ए से भरपूर गाजर आंखों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. इसमें पाए जाने वाली कैरोटिन बालों के लिए काफी अच्छी साबित होती है. साथ ही इसके सेवन से पाचन तंत्र भी अच्छा होता है.

गाजर की खेती के लिए ऐसी जलवायु उपयुक्त 

देश में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार में गाजर की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. इसकी खेती के लिए 15 से 30 डिग्री का सेल्सियस तापामान फायदेमंद हैं. 15 डिग्री से कम तापमान पर गाजर का रंग हल्का होने की संभावनाएं बनी रहती है. ऐसे में इसकी खेती उन्हीं प्रदेशों में सफल है जहां तापमान 15 डिग्री से ऊपर होता है.

गाजर की खेती में खेत की तैयारी

गाजर की बुवाई करने से पहले खेत को बिजाई के लिए समतल कर लें. खेत की 2 से 3 गहरी जुताई करें. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं. इससे खेत की मिट्टी भूरभूरी हो जाती है और इसमें गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला सकते हैं.एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 4 से 6 किलो गाजर के बीज की आवश्यकता होती है. बुवाई के 12 से 15 दिन बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं.अगर बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोते हैं, तो ये बीजों के अंकुरित होने में कम समय लगता है.

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90 दिनों में मुनाफा

गाजर की फसल बुवाई के 70 से 90 दिनों में तैयार हो जाता है. प्रति हेक्टेयर आप 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं. बाजार में गाजर 30 से 50 रुपये किलो बिकता है.इस हिसाब से आप सिर्फ एक हेक्टेयर में ही गाजर की खेती में लाखों का मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

 

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