देश की आर्थिक व्यवस्था काफी हद तक खेती-किसानी पर ही टिकी हुई हैं. यही वजह है यहां खेती को अलग ही तरह का महत्व दिया जाता है. हालांकि, किसानों के सामने फसल की बुवाई से लेकर उसकी कटाई तक अलग-अलग चुनौतियां सामने आती हैं. प्राकृतिक आपदाओं से लेकर फसलों की बिक्री तक किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
फसलों को नुकसान से बचा सकता है ये मॉडल
ओलावृष्टि, भारी बारिश, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएं फसलों को बेहद नुकसान करती हैं. इसी नुकसान से फसल को बचाने के लिए नासा में काम कर चुके पराग नावरेकर ने एक ऐसा मॉडल विकसित किया है जिससे समय रहते फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है.
इस तरह की जानकारियां होंगी उपलब्ध
पराग ने एक वेदर स्टेशन बनाया है जो एक सेंसर के माध्यम से उपग्रहों का उपयोग करके एकत्र किए गए डेटा की डिकोडिंग करता है. प्राथमिक डेटा एकत्र करने से के अलावा य मिट्टी के प्रकार, वनस्पति, नमी जैसी जानकारियों के बारे में भी बताता है.
फसल की बीमारियों के बारे में भी बताने में सक्षम
साल 2017 में डॉ. पराग ने एक मौसम स्टेशन के तीन मॉडल बनाए और अपनी कम्पनी लॉन्च की उन्होंने जमीन पर किसानों के साथ काम करने वाली कंपनी सह्याद्री फार्म्स का साथ लिया. पराग नारवेकर का कहना है की यह स्टेशन उपकरणों और सेंसर की मदद से मिट्टी, क्षेत्र, नमी निगरानी कर सकता है. साथ ही फसल में बीमारियों के शुरुआती चरणों का निदान के बारे में भी बताने में सक्षम है.
किसानों को देगा अलर्ट
फसल में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर किसानों को अलर्ट मिलेगा . इस उपकरण से यह मौसम स्टेशन जल प्रबंधन, शीत लहर, पोषक तत्व प्रबंधन, हवा की दिशा, प्रकाश संश्लेषण और पौधों के वाष्पोत्सर्जन जैसे पहलुओं पर जानकारी मिलेगी. यह स्टेशन 5 किमी के दायरे को कवर कर सकता है जिसे किसानों के एक समूह द्वारा एक साथ उपयोग किया जा सकता है.