खेती-किसानी से भी अपनी किस्मत बदली जा सकती है. महाराष्ट्र के पुणे के तलेगांव में रहने वाले गौतम राठौड़ ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. कश्मीर में उगाये जाने वाली केसर की खेती को उन्होंने पुणे में उगाकर दिखाया है. इसके लिए उन्होंने एरोपोनिक तकनीक का सहारा लिया. फिलहाल, इससे वह इससे अच्छा मुनाफा कमाने लगे हैं.
पहले शुरू किया था अपना गैराज
बी.कॉम की पढ़ाई करने के बाद गौतम राठौड़ ने तलेगांव में अपना एक गैराज शुरू किया था. शुरुआत में बिजनेस खूब अच्छा चला. जिंदगी भी खुशहाल थी. हालांकि, गौतम की ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई. इसी बीच गौतम को कैंसर हो गया. दाहिनी किडनी में कैंसर का ट्यूमर बढ़ रहा था. इसे हटाना संभव नहीं था, इसलिए उन्हें ट्यूमर के साथ किडनी भी निकालनी पड़ी.
वीडियो देखने का केसर की खेती का लिया फैसला
बीमारी के कारण वह भारी काम नहीं कर पाते थे. इस बीच उनके एक दोस्त ने उन्हें केसर की खेती का एक वीडियो भेजा. इस एक वीडियो ने गौतम के भविष्य के फैसले बदल दिए. उन्होंने एरोपोनिक तरीके से खेती करने का फैसला कर लिया. कश्मीर की तरह पुणे के तलेगांव दाभाड़े में भी अच्छी गुणवत्ता वाला केसर उगाना शुरू कर दिया.
खेती के लिए अपनाया ये तरीका
गौतम राठौड़ बताते हैं कि केसर की खेती का एक वीडियो देखने के बाद केसर के बारे में उनकी जिज्ञासा चरम पर पहुंच गई. उन्होंने केसर के विषय पर शोध किया. कार्यशालाओं में भाग लिया, केसर की खेती का प्रशिक्षण लिया. एक बंद छत वाले कमरे में केसर लगाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी बिल्डिंग की छत पर करीब दस बाय बारह के कमरे में वर्टिकल फार्मिंग के जरिए केसर की खेती के लिए माहौल तैयार किया है. कश्मीर से केसर के बीज लेकर आए. फसल को जितनी जरूरत थी उतनी हवा के माध्यम से दी गई और तीन महीने में ऊर्ध्वाधर खेती से केसर की फसलें तैयार हो गईं.
फसल की शुरू कर दी बिक्री
तीन महीने बाद यानी अक्टूबर के महीने में, उनकी केसर की फसल काटी गई. उन्होंने गुणवत्तापूर्ण केसर की कटाई शुरू कर दी है. 12 से 13 मिमी लंबे केसर की कीमत फिलहाल 800 रुपये प्रति ग्राम है. टुकड़ा केसर 400 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से बिकता है. ऐसा गौतम राठौड़ ने इस गुणवत्ता वाले केसर की बिक्री का लाइसेंस लेकर इसे सभी तक पहुंचाने की मंशा जताई है.