किसानों के लिए निवेश की लागत कम करना बहुत बड़ी चुनौती है. निवेश जितना कम होगा किसानों की आमदनी उतनी ही ज्यादा होगी. ऐसे में आज हम किसानों के लिए एक ऐसी मशीन की जानकारी दे रहे हैं, जिससे किसान अपने कृषि कार्यों में कम निवेश से मुनाफा बढ़ा सकते हैं. खास कर इस समय जब रोजगार की तलाश में लोग गांवों से शहरों की तरफ भाग रहे हैं. ऐसे में अब काम करने के लिए गांव में मजदूर बड़ी मुश्किल से मिलते हैं. किसानों के लिए ये मशीन काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
किसानों को रबी सीजन और खरीफ सीजन में धान की कटाई करनी होती है. इसके लिए उन्हें हार्वेस्टर मशीन की जरूरत पड़ती है. ऐसे में काफी खर्चा होता है. बड़े किसानों को भले ही ज्यादा फर्क न पड़ता हो पर छोटे किसानों पर इसका काफी असर होता है. ऐसे में छोटे किसान अपने फसलों की कटाई के लिए Reaper machine का उपयोग कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात ये कि सरकार इस पर सब्सिडी भी देती है.
काटाई के साथ बंडल भी हो जाता है तैयार
एक किसान ने बताया कि रीपर मशीन से 1 घंटे में लगभग 1 एकड़ खेत के फसल की कटाई की जा सकती है. इस मशीन की एक खासियत यह है कि फसल काटने के साथ यह बंडल भी बना देती है. रीपर मशीन डीजल से चलती है. इसमें डीजल की खपत एक घंटे में लगभग 1 लीटर होती है. इस मशीन का रखरखाव भी बहुत खर्चीला नहीं है. इसकी कीमत लगभग 5.25 लाख रुपये है. हालांकि इस पर कई राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है.
हार्वेस्टर और रीपर मशीन की तुलना
एक किसान ने हार्वेस्टर मशीन से रीपर मशीन की तुलना करते हुए बताया कि हार्वेस्टर से फसल काटने पर किसानों को भूसा नहीं मिलता है. जो किसान अब पशुपालन नहीं करते हैं, उनके लिए हार्वेस्टर से फसल काटना उपयोगी है, लेकिन गांवों में लगभग 80 फीसदी किसान दूध की अपनी घरेलू जरूरत काे पूरा करने के लिए घर पर पशु जरूर रखते हैं. ऐसे में हार्वेस्टर से फसल काटने पर मशीन से भूसा बनाना पड़ता है.
किसानों को हार्वेस्टर मशीन से कटाई कराने पर गेहूं निकालने के लिए थ्रेसर की जरूरत पड़ती है. रीपर मशीन का आकार छोटे होने के कारण यह किसी भी खेतों में आसानी से चल पाती है. जबकि ट्रक के आकार वाली हार्वेस्टर मशीन को छोटे खेतों में चलाना परेशानी भरा होता है.