Dwarfism in Paddy Crop: उत्तर भारत के राज्यों में इस साल मॉनसून कमजोर रहा है. इसका सबसे ज्यादा बुरा असर खरीफ फसलों की बुवाई पर पड़ा. हालांकि, अगस्त महीने में उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हुई है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सूखे की स्थिति है. फसलें सूख रही हैं, कई जगहों से खेतों में दरारों की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं.
जानकारों की मानें तो सूखे की मार से सबसे ज्यादा धान के उत्पादन में कमी आएगी. धान की क्वालिटी पर भी पर इसका असर पड़ सकता है. इस बीच कई राज्यों से किसान धान के बौनापन की शिकायत करने लेकर सामने आ रहे हैं. इस रोग के लगने की वजह से धान के पौधे का विकास रूक जाता है. इससे धान की उत्पादन पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है. अब इससे बचने के उपायों को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है.
पूसा संस्थान की खोज - धान में बौनापन का कारण एवं निदान https://t.co/ckirJKE7XJ #Rice #ICAR @nstomar @KailashBaytu @ShobhaBJP @PIB_India @AgriGoI
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) September 2, 2022
ये है लक्षण
यह समस्या खरपतवारों के आंतक और पोषक तत्वों की कमी के कारण आती है. जब भी धान के पौधे बुवाई शुरुआती महीने में ही पीले पड़ने शुरू हो जाए तो समझ जाएं कि आपकी फसल बौनेपन की शिकार हो सकती है.
बौनेपन की समस्या से फसल को ऐसे बचाएं
>धान की फसल लगाने के बाद भी निराई गुड़ाई जारी रखें. इससे पौधों में ऑक्सीजन का संचार होगा और पौधे सुरक्षित रहेंगे.
>पीले पौधे देखने पर उखाड़ कर फेंक दें. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी पूरी फसल चौपट हो सकती है.
>फसल में 5 से 20 फीसदी तक पीले पौधे दिखाई दे रहे हैं तो उन्हें हटा दें. इनकी जगह धान के नए पौधे लगा दें.
>धान की फसल में समय-समय पर यूरिया डीएपी या जीवामृत का छिड़काव करें,
>ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल ना करें वरना पौधों को नुकसान पहुंच सकता है.
अगर वक्त रहते हुए किसान धान के पौधों में बौनेपन के लक्षणों को पहचान कर सर्तकता से कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा बताए गए उपायों को अपनाता है तो वह अपनी फसल को पूरी तरह से खराब होने से बचा सकता है.