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मूंग-उड़द और अरहर की बुवाई में हो रही देरी? नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

महाराष्ट्र में इस साल मॉनसून विदर्भ इलाके से दाखिल जरूर हुआ, लेकिन अब तक उम्मीद के मुताबिक यहां बारिश नहीं हुई है. किसान पहले ही मॉनसून की देरी से चिंतित थे. बारिश ना होने के चलते मूंग और उड़द तथा अरहर की फसल की बुवाई में भी देरी हो रही है.

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Moong, arhar and urad farming
Moong, arhar and urad farming

देश में इस बार मॉनसून अपने संभावित समय से तकरीबन एक सप्ताह देरी से पहुंचा. इसके चलते कई राज्यों में फसलों की बुवाई में देरी हुई. महाराष्ट्र में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. अकोला समेत कई जिलों में मूंग, उड़द और अरहर की बुवाई में देरी हुई है. हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी इन फसलों की बुवाई कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

बुवाई में देरी के चलते चिंतित किसान

महाराष्ट्र में इस साल मॉनसून विदर्भ इलाके से दाखिल जरूर हुआ, लेकिन अब तक उम्मीद के मुताबिक यहां बारिश नहीं हुई है. किसान पहले ही मॉनसून की देरी से चिंतित थे. बारिश ना होने के चलते मूंग और उड़द तथा अरहर की फसल की बुवाई में भी देरी हो रही है. किसानों की इसी चिंता को कुछ हद तक दूर करने के लिए अकोला के डॉक्टर पंजाब राव देशमुख विश्वविद्यालय के दलहन विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर सुहास लांडे ने बताया कि उड़द और मूंग की फसल की 7 जुलाई से 10 जुलाई तक अच्छी बारिश आने के बाद भी बुवाई कर सकते हैं.

वैज्ञानिक तरीका अपनाने से आएगी अच्छी फसल

उन्होंने बताया कि मूंग, उड़द और अरहर की बुवाई मिश्रित फसल के रूप में भी की जा सकती है. दो फसलों के बीच मूंग और उड़द की एक लाइन फसल की बुवाई करें तो बढ़िया उपज मिल सकती है. वहीं, अरहर की फसल को15 जुलाई तक बुवाई करने का समय है. इससे पहले बीज शोधन की प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से करने पर अच्छी फसल आ सकती है.

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पिछले साल भी फसल बुवाई में किसानों को हुई थी देरी

बता दें कि पिछले साल भी मॉनसून देरी से आया था. साथ ही कई राज्यों में कम बारिश के चलते सूखे की भी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इस दौरान फसलों की बुवाई में देरी हुई थी. इसका खामियाजा किसानों को झेलना पड़ा था. देरी से बुवाई के चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

 

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