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ट्रंप ने भारत को फिर दिया झटका! सिलिकॉन सप्लाई चेन वाले मुल्कों की लिस्ट से रखा बाहर

अमेरिका ने जापान, कोरिया, सिंगापुर, यूके और ऑस्ट्रेलिया सहित आठ देशों के साथ ‘पैक्स सिलिका’ रणनीतिक पहल शुरू की है, जिसका लक्ष्य सुरक्षित और नवाचार-संचालित सिलिकॉन और AI सप्लाई चेन बनाना है. भारत को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

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अमेरिका ने 'पैक्स सिलिका' में जापान और यूके सहित कई देशों को रखा है. (Photo: Getty)
अमेरिका ने 'पैक्स सिलिका' में जापान और यूके सहित कई देशों को रखा है. (Photo: Getty)

अमेरिका ने भारत को बड़ा झटका दिया है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 'पैक्स सिलिका' (Pax Silica) पहल से भारत को बाहर रखा गया है. यह अमेरिका के नेतृत्व वाली एक रणनीतिक योजना है, जिसका लक्ष्य सुरक्षित, समृद्ध और नवाचार-संचालित सिलिकॉन सप्लाई चेन का निर्माण करना है. इस पहल में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, यूके और ऑस्ट्रेलिया सहित आठ देश शामिल हैं, जो वैश्विक AI सप्लाई चेन को शक्ति प्रदान करते हैं.

'पैक्स सिलिका' अमेरिका के नेतृत्व वाली एक रणनीतिक पहल है, जिसे सिलिकॉन आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित, समृद्ध और नवाचार-संचालित बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह पहल महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा इनपुट से लेकर उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर्स, AI बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स तक पूरी श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित करती है. 

इस पहल का मकसद विश्वसनीय सहयोगियों के साथ गहन सहयोग पर आधारित है, जिससे जबरदस्ती की निर्भरता को कम किया जा सके और AI के लिए मूलभूत सामग्रियों और क्षमताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

पैक्स सिलिका का मकसद और सहभागी देश

'पैक्स सिलिका' का टारगेट यह सुनिश्चित करना है कि शामिल देश परिवर्तनकारी तकनीकों को बड़े पैमाने पर विकसित और तैनात कर सकें. इस पहल का नाम लैटिन शब्द 'पैक्स' (शांति, स्थिरता और दीर्घकालिक समृद्धि) और 'सिलिका' (सिलिकॉन, जो कंप्यूटर चिप्स का मूल तत्व है) से लिया गया है.

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इस पहल के उद्घाटन शिखर सम्मेलन में जापान, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के समकक्षों को एक साथ लाया गया. ये देश वैश्विक AI सप्लाई चेन को शक्ति देने वाली सबसे महत्वपूर्ण कंपनियों और निवेशकों का घर हैं.

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एक नई आर्थिक सुरक्षा की जरूरत

यह पहल एक नई आर्थिक सुरक्षा प्रतिमान (New Economic Security Paradigm) को दर्शाती है. अमेरिका और भागीदार देशों में एक स्पष्ट सहमति बनी है कि सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखलाएं, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और लचीला बुनियादी ढांचा राष्ट्रीय शक्ति और आर्थिक विकास के लिए अपरिहार्य हैं. यह पहल AI की परिवर्तनकारी ताकत को पहचानते हुए, सहयोगी देशों की बढ़ती मांग और जबरदस्ती की निर्भरता से बढ़ते जोखिमों के जवाब में लाई गई है.

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अपेक्षित परिणाम और सहयोग के क्षेत्र

'पैक्स सिलिका' का मकसद एक टिकाऊ आर्थिक व्यवस्था स्थापित करना है, जो भागीदार देशों में AI-ऑपरेटेड समृद्धि के दौर को सुनिश्चित करे. भाग लेने वाले देश वैश्विक प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला के रणनीतिक 'स्टैक' को सुरक्षित करने के लिए साझेदारी करेंगे. इसमें सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, फ्रंटियर फाउंडेशन मॉडल, कनेक्टिविटी और नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर, कंप्यूट और सेमीकंडक्टर , उन्नत विनिर्माण, परिवहन लॉजिस्टिक्स, खनिज शोधन और ऊर्जा शामिल हैं.

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कैसे काम करने पर बनी सहमति?

  • AI आपूर्ति श्रृंखला के अवसरों और कमजोरियों को दूर करना.
  • नए संयुक्त उद्यमों और रणनीतिक सह-निवेश के अवसरों पर काम करना.
  • महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को उन देशों के अनुचित एक्सेस या नियंत्रण से बचाना, जो चिंता का विषय हैं.

भारत को बाहर किए जाने के क्या मायने?

भारत AI और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए  कोशिश कर रहा है. इस पहल से बाहर होना वैश्विक तकनीकी गठबंधन में उसकी भागीदारी को सीमित करता है. पहल में भाग लेने वाले देशों में दुनिया की सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी कंपनियां हैं और यह साझेदारी एक ऐसा आर्थिक व्यवस्था बनाना चाहती है, जो केवल भागीदार देशों के बीच AI-संचालित समृद्धि का सूत्रधार हो. 

अमेरिका द्वारा लिया गया यह फैसला, भारत के लिए आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा और प्रमुख AI तकनीकों तक पहुंच के संदर्भ में चुनौतियां खड़ी कर सकता है.

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टाटा ग्रुप ने सेमीकंडक्टर बनाने के लिए इंटेल के साथ समझौता किय है. यह वीडियो भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और ग्लोबल चिप सप्लाई चेन में इसकी भूमिका को बढ़ाने की कोशिशों पर जोर डालता है, जो 'पैक्स सिलिका' पहल के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण विकास है.

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