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सिख सैनिकों की चाह, अमेरिकी सेना में हों और भारतीय

अमेरिकी सेना में मौजूद केवल तीन सिख सैनिकों का कहना है कि अमेरिका को अधिक संख्या में भारतीय-अमेरिकियों को सेना में शामिल होने की अनुमति देनी चाहिए. चाहे इसके लिए नीति ही बदलनी पड़े. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि सेना में शामिल होने के इच्छुक लोगों को धार्मिक विश्वास और परंपराओं से समझौता न करना पड़े.

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अमेरिकी सेना में कार्यरत एक सिख सैनिक
अमेरिकी सेना में कार्यरत एक सिख सैनिक

अमेरिकी सेना में मौजूद केवल तीन सिख सैनिकों का कहना है कि अमेरिका को अधिक संख्या में भारतीय-अमेरिकियों को सेना में शामिल होने की अनुमति देनी चाहिए. चाहे इसके लिए नीति ही बदलनी पड़े. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि सेना में शामिल होने के इच्छुक लोगों को धार्मिक विश्वास और परंपराओं से समझौता न करना पड़े.

अमेरिकी सेना में फिलहाल तीन सिख सैनिक मेजर कमलजीत सिंह कलसी, कैप्टन तेजदीप सिंह रतन और कारपोरल सिमरन प्रीत सिंह लांबा हैं. इन तीनों ने अपनी सेवाओं के लिए पुरस्कार और प्रशंसा हासिल की और उन्हें अफगानिस्तान में तैनाती मिली.

वे अब संघीय नीति में बदलाव चाहते हैं कि जिसके तहत न केवल सिख बल्कि भारतीय-अमेरिकियों को अपने धार्मिक विश्वास और परंपराओं को छोड़े बगैर सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं है.

भारतीय मूल के अमेरिकी सेना के डॉक्टर ने कहा कि यह केवल समय की बात है. यह विविधता का विषय है, अगर हर रंग, हर नस्ल के लोग सेना में शामिल हो सकते हैं तो भारतीय और सरदार, सिख, हिन्दू तथा मुस्लिम भी हो सकते हैं.

कलसी तीस वर्ष में पगड़ी पहनने वाले पहले सिख सैनिक हैं. उन्हें वर्ष 2011 में अफगानिस्तान में उनकी मेधावी सेवाओं के लिए चौथे सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार ब्रांज स्टार मेडल मिला था.

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