सऊदी अरब से एक भारतीय मजदूर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह वतन वापसी की गुहार लगा रहा था. अब सऊदी अधिकारियों ने कहा है कि यह वीडियो केवल सोशल मीडिया पर ध्यान आकर्षित करने के लिए बनाया गया था. पूर्वी प्रांत पुलिस के मीडिया प्रवक्ता ने बताया कि वीडियो वायरल होने के बाद उस भारतीय प्रवासी को पूछताछ के लिए बुलाया गया.
पुलिस ने बयान में कहा, 'जांच में पता चला कि उसने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर व्यूज बढ़ाने के लिए यह वीडियो बनाया और शेयर किया था.' अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि उस व्यक्ति और उसके नियोक्ता (एम्प्लॉयर) के बीच कोई विवाद नहीं है और उसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की गई है.
स्पॉन्सर पर लगाया था आरोप
यह सफाई उस वीडियो के वायरल होने के बाद आई है, जिसमें उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति को सऊदी अरब में मदद की गुहार लगाते हुए देखा गया था. वीडियो में वह भोजपुरी में बोलते हुए कहता है कि उसका स्पॉन्सर उसका पासपोर्ट रोककर रखे हुए है और उसे जान से मारने की धमकी दे रहा है. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आम जनता से अपील करता है कि 'इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि मैं अपनी मां के पास लौट सकूं.'
वीडियो में रोते हुए व्यक्ति के पीछे एक ऊंट भी दिखाई दे रहा था. दिल्ली के एक वकील ने इस वीडियो को एक्स पर शेयर किया था और विदेश मंत्री एस. जयशंकर तथा सऊदी अरब में भारतीय दूतावास को टैग किया था.
सिर्फ व्यूज बढ़ाने के लिए बनाया गया वीडियो
वायरल पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय दूतावास ने कहा कि वे व्यक्ति की पहचान और लोकेशन पता करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वीडियो में किसी प्रकार की संपर्क जानकारी या लोकेशन डिटेल न होने के कारण दिक्कत आ रही है. हालांकि, सऊदी पुलिस ने इन दावों को खारिज कर दिया और कहा कि 'यह वीडियो सिर्फ व्यूज बढ़ाने के मकसद से पोस्ट किया गया था' और 'इसकी कोई सच्चाई नहीं है.'
सऊदी अरब ने खत्म किया कफाला सिस्टम
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब सऊदी अरब ने हाल ही में अपने दशकों पुराने 'कफाला सिस्टम' को खत्म करने का फैसला किया है, एक ऐसा स्पॉन्सरशिप सिस्टम जिसे आलोचक 'आधुनिक गुलामी' बताते थे. इस सुधार के तहत अब विदेशी कामगार अपने नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी बदल सकते हैं या देश छोड़ सकते हैं, जिसे प्रवासी अधिकारों के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है.