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पाकिस्तान: तबलीगी जमात के खिलाफ हिन्दुओं का प्रदर्शन, जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप

पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में हिंदुओं और ईसाइयों का उत्पीड़न जारी है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने हाल ही में कहा कि इमरान खान सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदायों पर भयावह धार्मिक रूप से प्रेरित हमले हुए हैं.

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पाकिस्तान के क्रिश्चयन धर्मावलंबी
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • पाकिस्तान के हिन्दुओं का सिंध में प्रदर्शन

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक उत्पीड़न का एक और मामला सामने आया है. सिंध प्रांत में हिंदुओं ने आरोप लगाया है कि इस्लामिक समूह तबलीगी जमात ने उन्हें प्रताड़ित किया और उनके घरों को ध्वस्त कर दिया. इसके साथ ही इस्लाम अपनाने से इनकार करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया गया है.

सिंध का एक वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया, इस वीडियो में हिंदू जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध करते हुए देखे जा सकते हैं.

तबलीगी जमात के खिलाफ हाथ से लिखे पोस्टर पकड़े महिलाओं, बच्चों को नासूरपुर, मटियार में विरोध प्रदर्शन करते हुए देखा गया. इस दौरान हिंदुओं का कहना था, "हम मरना पसंद करेंगे, लेकिन कभी इस्लाम नहीं अपनाएंगे."

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एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि उनकी संपत्तियों को हड़प लिया गया, घरों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें पीटा गया है. महिला ने कहा कि उन्हें कहा जा रहा है कि अगर घर वापस चाहिए तो इस्लाम अपनाना होगा.

एक दूसरे वीडियो में एक महिला जमीन पर लेटी हुई दिखाई दे रही है. ये महिला कह रही है कि उसके बेटे का तबलीगी जमात के सदस्यों द्वारा अपहरण कर लिया गया है. महिला अपने बेटे को रिहा कराने के लिए जमात से रहम की भीख मांग रही है.

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पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में हिंदुओं और ईसाइयों का उत्पीड़न जारी है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने हाल ही में कहा कि इमरान खान सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदायों पर भयावह धार्मिक रूप से प्रेरित हमले हुए हैं.

सिंध और पंजाब में हिंदू व ईसाई दोनों समुदायों को पिछले साल भी बड़े स्तर पर जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ा था.

आयोग ने कहा कि पंजाब और सिंध में 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का अपहरण किया गया, उन्हें जबरन धर्मांतरित कर उनका निकाह कर दिया गया. आयोग ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं और हिंदू समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है, क्योंकि उन पर ईश निंदा का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया जाता है.

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आयोग ने कहा, "उन्हें स्कूल में इस्लामी अध्ययन सीखने के लिए भी मजबूर किया जाता है. कुछ चिंताएं यह भी हैं कि ईसाई समुदाय के लिए पर्याप्त दफन करने की जगह और हिंदू समाज के लिए श्मशान भूमि नहीं हैं."

पाकिस्तान में अदालत ने 2014 में धार्मिक सहिष्णुता, पाठ्यक्रम में सुधार, मीडिया में अभद्र भाषा के खिलाफ कार्रवाई, पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए एक विशेष पुलिस बल, और शीघ्र पंजीकरण के लिए एक कार्यबल का गठन करने का निर्देश दिया था.  एचआरसीपी ने कहा कि अभी तक इस संबंध में कुछ भी नहीं हुआ है.

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