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पाकिस्तान डिफॉल्ट होने से नहीं बच पाएगा, रिपोर्ट में दी गई चेतावनी

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. नई रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को अब डिफॉल्ट होने से नहीं बचाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया हैै कि एक ही दशक में पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ कई गुना बढ़ गया है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का डिफॉल्ट होना तय है (Photo- Reuters)
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का डिफॉल्ट होना तय है (Photo- Reuters)

पाकिस्तान एक देश के रूप में विफल साबित हो रहा है. इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक तबडलैब (Tabadlab) ने पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें देश की वित्तीय सेहत की एक गंभीर तस्वीर पेश की गई है. रिपोर्ट में पाकिस्तान के कर्ज की स्थिति को 'भड़कती आग' की तरह बताया गया है और कहा गया है कि स्थिति इतनी खतरनाक है जिसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट पैकेज से भी मैनेज नहीं किया जा सकता है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का कर्ज विनाशकारी स्तर पर पहुंच गया है जहां से पाकिस्तान के डिफॉल्ट की स्थिति को टालना लगभग असंभव है. पाकिस्तान अगर एक बार डिफॉल्ट होता है तो फिर उस चक्र से निकलना उसके लिए मुश्किल होने वाला है.

Tabadlab की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब हाल ही में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए हैं जिसमें महंगाई और बेरोजगारी से जूझते लोगों ने उत्साह नहीं दिखाया. चुनाव में भारी धांधली की भी खबरें आई हैं.

पाकिस्तान के आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है और अभी भी सरकार बनने को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है जिसने शेयर बाजार पर नकारात्मक असर डाला है. प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार शहबाज शरीफ ने हाल ही में कहा है कि आर्थिक संकट का टालने के लिए आईएमएफ से बेलआउट पैकेज जल्द से जल्द हासिल करनी होगी.

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पाकिस्तान पर कितना कर्ज है?

पाकिस्तान का प्रति व्यक्ति कर्ज 2011 में 823 (68,318 रुपये) डॉलर से 36% बढ़कर 2023 में 1,122 डॉलर (93,139 रुपये) हो गया है. वहीं, पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति जीडीपी 2011 में जहां 1,295 डॉलर थी, साल 2023 में 6% गिरकर 1,223 डॉलर हो गई.

पाकिस्तान में कर्ज और आय के बीच बढ़ती खाई की वजह से अतिरिक्त कर्ज लेने की जरूरत पड़ रही है.
पाकिस्तान में 2011 में एक नवजात शिशु को विरासत में 70,778 पाकिस्तानी रुपये का कर्ज मिला था. साल 2023 में यह 4.5  गुना बढ़ गया है और अब एक नवजात पर 321,341 पाकिस्तानी रुपये का कर्ज है.

2011 के बाद से पाकिस्तान का विदेशी कर्ज लगभग दोगुना हो गया है, जबकि उसका घरेलू कर्ज छह गुना बढ़ गया है.

वित्तीय वर्ष-2024 के लिए, पाकिस्तान को द्विपक्षीय या आईएमएफ कर्ज को छोड़कर, ब्याज भुगतान के रूप में 30% यानी 49.5  अरब डॉलर कर्ज का भुगतान करना है.

पाकिस्तान अपने जरूरत के अधिकांश चीजों का आयात करता है और निर्यात पर जोर नहीं दिया जाता. पाकिस्तान अस्थिर तरीके से उधार लेकर खर्च कर रहा है और इसी पैटर्न के कारण पाकिस्तान की कर्ज प्रोफाइल को चिंताजनक माना जाता है.

पाकिस्तान में प्राकृतिक आपदा ने भी बढ़ाई मुश्किलें

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रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान अक्सर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 'पाकिस्तान का कर्ज एक विकट और प्रासंगिक चुनौती है, जिसके लिए तत्काल और रणनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत है. पाकिस्तान को कर्ज की अदायगी ऐतिहासिक ऊंचाई पर है. यह बढ़ती आबादी की सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसी जरूरतों को प्राथमिकता नहीं दे रही है.'

जीशान सलाहुद्दीन और अम्मार हबीब खान की लिखी रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान के बाहरी और घरेलू कर्ज में 2011 के बाद से नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुआ है. 

बाहरी कर्ज और देनदारियां लगभग दोगुनी होकर 125 अरब डॉलर हो गई हैं और घरेलू कर्ज छह गुना बढ़ गया है.

पाकिस्तान अपने सकल घरेलू उत्पाद का एक रिकॉर्ड हिस्सा कर्ज के ब्याज पर खर्च कर रहा है जिससे पता चलता है कि उस पर कर्ज कितना ज्यादा बढ़ गया है.

रिपोर्ट जारी करने वाले थिंक टैंक ने पर्यावरण संरक्षण की जरूरतों पर बल देते हुए कहा है कि पाकिस्तान को स्थिति से उबरने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की जरूरत है. तबडलैब ने कहा है कि बढ़ते कर्ज के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की वृद्धि रुक गई है. देश डिफॉल्ट के कगार पर खड़ा है और आर्थिक आपदा को रोकने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप जरूरी है.

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