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माली में इस्लामी विद्रोह, भारतीय सुरक्षित

माली में इस्लामी विद्रोहियों के खिलाफ फ्रांस के नेतृत्ववाली अंतर्राष्ट्रीय सेना की आक्रामक कार्रवाई का वहां रह रहे भारतीयों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. इस आशय की जानकारी एक भारतीय अधिकारी ने दी है.

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माली में विद्रोह
माली में विद्रोह

माली में इस्लामी विद्रोहियों के खिलाफ फ्रांस के नेतृत्ववाली अंतर्राष्ट्रीय सेना की आक्रामक कार्रवाई का वहां रह रहे भारतीयों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. इस आशय की जानकारी एक भारतीय अधिकारी ने दी है.

माली में भारतीय मूल के करीब 200 लोग रहते हैं. बामाको स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि समुदाय छोटा है, लेकिन उभरता हुआ है. करीब 12 से 15 साल पहले भारतीय समुदाय के लोगों ने यहां आना शुरू किया.

भारतीय दूतावास में मामलों के प्रभारी आशीष मेहता ने बताया, 'स्थिति का देश में रहने वाले भारतीयों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.'

अंतर्राष्ट्रीय सहायता एजेंसी ओएक्सएफएएम के एक प्रतिनिधि हबीबातोउ गोलोगो ने बताया, 'बामाको पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ा है. जनजीवन बिलकुल सामान्य बना हुआ है.'

माली 1960 तक फ्रांस का उपनिवेश था. यहां की आबादी करीब एक करोड़ 60 लाख है. बीते मार्च में सैनिक विद्रोह के बाद से देश में उथल-पुथल मचा हुआ है. इस्लामवादियों ने माली के उत्तरी इलाके के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है और कड़े इस्लामी कानून लागू करने के प्रयास में हैं.

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क्षेत्र में सक्रिय अल कायदा मीलिशिया से लोहा लेने के लिए फ्रांस ने इस महीने के शुरू में दस्ता भेजा था. अभियान में फ्रांस के करीब तीन हजार सैनिक लगे हुए हैं। माली की जमीन पर फ्रांस के 2,150 सैनिक हैं जबकि एक हजार अलग से मदद कर रहे हैं. अफ्रीकी देश ने करीब 5700 सैनिकों को फ्रांस और माली की सेनाओं की मदद में भेजे हैं.

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