फेसबुक ने पाकिस्तान स्थित एक ऐसे नेटवर्क के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, जो फर्जी अकाउंट्स और पेजेस के जरिए दुष्प्रचार फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था.
फेसबुक ने 453 फेसबुक अकाउंट्स, 103 पेजेस, 78 ग्रुप्स और 107 इंस्टाग्राम अकाउंट्स को निलंबित कर दिया. ये सभी पाकिस्तान से ऑपरेट किए जा रहे नेटवर्क का हिस्सा थे. इनके संगठित होकर अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने के बाद फेसबुक ने 31 अगस्त को ये कार्रवाई की.
फेसबुक ने कहा, 'हमने अपनी आंतरिक जांच के दौरान इस नेटवर्क को क्षेत्र में संदिग्ध संगठित और अवैध बर्ताव करते पाया.’
फेसबुक ने अपनी टेकडाउन रिपोर्ट में कहा, “अगस्त में, हमने अकाउंट्स, पेजेस और ग्रुप्स के तीन नेटवर्क हटा दिए. उनमें से दो-रूस और अमेरिका से थे. ये अपने देश के बाहर के लोगों को निशाना बना रहे थे. ऐसे ही पाकिस्तान से एक नेटवर्क को हटाया गया जो पाकिस्तान में घरेलू ऑडियन्स के साथ भारत पर भी फोकस कर रहा था. हमने अपनी जांच से जुड़े निष्कर्षों को कानून प्रवर्तन, नीति निर्माताओं और इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ शेयर किया.”
फेसबुक ने 28 अगस्त को स्टैनफोर्ड इंटरनेट ऑब्जर्वेटरी (SIO) के साथ इस नेटवर्क के एक हिस्से को साझा किया और फिर निलंबन के पीछे के कारणों को सार्वजनिक किया.
“रिपोर्टिंग फॉर ड्यूटी: हाऊ ए नेटवर्क ऑफ पाकिस्तान बेस्ड अकाउंट्स लेवरेज्ड मास रिपोर्टिंग टू साइलेंस क्रिटिक्स” नाम की रिपोर्ट में लीड रिसर्चर शेल्बी ग्रोसमैन ने कहा, "आज फेसबुक ने पाकिस्तान के अकाउंट्स के एक बड़े नेटवर्क के निलंबन का ऐलान किया. मेरी इंटरनेट ऑब्जर्वेटरी टीम ने नेटवर्क को हटाने से पहले इसका विश्लेषण किया. नेटवर्क का सबसे दिलचस्प पहलू है- मास रिपोर्टिंग."
पिछले तीन वर्षों में, फेसबुक ने जिन समन्वित अवैध बर्ताव (CIB) की पहचान की, उनके निष्कर्ष साझा किए और अपने प्लेटफॉर्म से हटाया.
SIO की रिपोर्ट कहती है, "नेटवर्क यूजर्स को ऐसे अकाउंट्स के खिलाफ बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग के लिए बढ़ावा देता था जो इस्लाम या पाकिस्तान सरकार के आलोचक होते थे. कुछ मामलों में ये अकाउंट अहमदी धार्मिक समुदाय से जुड़े थे. इस नेटवर्क की ओर से पाकिस्तानी सेना की प्रशंसा में संदेश भी देते थे. इसके कुछ भारतीय सेना फैन पेजेस और ग्रुप्स भी थे जिनका उद्देश्य स्पष्ट नहीं था.”
शेल्बी ग्रॉसमैन ने कहा, "नेटवर्क के सूचना ऑपरेशन वाले हिस्से ने पाकिस्तानी सेना और सरकार की प्रशंसा की, और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की. साथ ही अहमदी समुदाय जैसे पाकिस्तानी सामाजिक और धार्मिक समूहों की भी आलोचना की.”
रिपोर्ट के अहम पहलू-
-निलंबित नेटवर्क ने मई 2020 के बाद से फेसबुक और इंस्टाग्राम के उन अकाउंट्स की मास रिपोर्टिंग को समन्वित किया, जो इस्लाम के आलोचक माने गए, पाकिस्तानी सरकार और सेना के आलोचक माने गए या जो अहमदी धार्मिक अल्पसंख्यकों से जुड़े हुए थे. नेटवर्क की ओर से ऐसे लिंक्स शेयर किए गए जो किसी खास अंकाउंट या अकाउंट फोटो को रिपोर्ट करने के लिए सीधे फेसबुक की साइट पर ले जाते हैं. नेटवर्क ने इस तरह मास रिपोर्टिंग से 200 से अधिक ‘कामयाबियां’ पाने का दावा किया लेकिन हम इस बात की पुष्टि करने में असमर्थ हैं कि क्या रिपोर्टिंग के कारण इन अकाउंट्स को हटाया गया था. कुछ अकाउंट्स, जिनमें जानबूझ कर फर्जी नाम रखे गए, साफ तौर पर फेसबुक की पहचान नीतियों का उल्लंघन करते थे.
-नेटवर्क ने "ऑटो रिपोर्टर" (ऑटोमेटिक रिपोर्टिंग के लिए एक क्रोम एक्सटेंशन) का इस्तेमाल किया. एक्सटेंशन को बनाने वाले ने फ़ेसबुक पर साफ किया था कि उसने ये प्रोडकट्स "एंटी-इस्लामिक, एंटी-पाकिस्तानी अकाउंट्स या ऐसे ग्रुप्स और पेजेस के लिए बनाया है जो सोशल मीडिया पर बड़े खतरे हैं." नेटवर्क और उससे जुड़े यूजर्स ने रिपोर्टिंग के लिए फर्जी अकाउंट्स बनाने के लिए ट्यूटोरियल्स भी उपलब्ध कराए. साथ ही ये भी सिखाया जाता था कि रिपोर्टिंग में तेजी लाने के लिए तेजी से कई टैब्स खोले जाएं.
-कई पेजेस और ग्रुप्स ने पाकिस्तानी नेशनलिस्ट कंटेंट, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस ISI (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी) और पाकिस्तान की सत्तारूढ़ तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की तारीफ की. इनकी पोस्ट्स में भारत की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की, इन पोस्ट्स में अक्सर पीएम मोदी के कोविड-19 महामारी से निपटने के तरीके का मखौल उड़ाते देखा गया.
-नेटवर्क में कई भारतीय सेना फैन पेज और ग्रुप्स शामिल थे, जिनमें मुख्य रूप से भारतीय सेना और सरकार के बारे में सकारात्मक संदेश थे. हमें स्पष्ट नहीं हैं कि इन का असली उद्देश्य क्या था.
DFRLab के मुताबिक वह नेटवर्क "एक महत्वपूर्ण इन्फ्लुएंस ऑपरेशन की नुमाइंदगी करता था, जिसका मकसद स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के अंदर सेना के लिए समर्थन बढ़ाना और विदेश में पाकिस्तान के लिए समर्थन बढ़ाना था." इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तानी राजनेता अहम सोशल मीडिया ट्रोल्स के साथ सीधे काम करते हैं जिससे कि पाकिस्तान समर्थक हैशटैग्स को ट्विटर पर ट्रेंड कराया जा सके.
इस नेटवर्क का सबसे बड़ा हथकंडा 'मास रिपोर्टिंग' का था. इस नेटवर्क का उद्देश्य उन फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट्स की मास रिपोर्टिंग कराना था जिन्हें पाकिस्तान में इस्लाम विरोधी या पाकिस्तान-विरोधी के तौर पर देखा जाता था.
रिपोर्ट में कहा गया है, "पेजेस और ग्रुप्स में मुख्य थीम पाकिस्तानी नेशनलिस्ट कंटेट था: पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की प्रशंसा करने वाला कंटेंट सामग्री और भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता में पाकिस्तान का साथ देना.''
थीम इस प्रकार थे: प्रो-पाकिस्तान सरकार/सेना कंटेंट, बीजेपी/मोदी विरोधी कंटेंट सामग्री और खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए संदेश देना.
कैसे काम करती है प्रोपेगेंडा मशीनरी?
रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि प्रोपेगेंडा मशीनरी कैसे काम करती है. रिपोर्ट में कहा गया, “भारत के केस में हमने मोदी और भारतीय सेना की आलोचना करने वाले कंटेंट का अवलोकन किया, उन संदेशों को देखा जो खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने वाले थे, वो पोस्ट जिनमें पीएम मोदी की कोविड-19 हैंडलिंग का मज़ाक उड़ाया गया, जैसे कि आप टॉप 40 कोरोना वायरस सेफ्टी देशों में भारत का नाम नहीं खोज सकते, सिर्फ बातें करने से काम नहीं होता.”
फेसबुक ने मुख्य रूप से पाकिस्तान स्थित सोशल मीडिया अकाउंट्स के नेटवर्क को हटाया है जो पाकिस्तानी नेशनलिस्ट संदेशों को पोस्ट रहे थे, भारत सरकार की आलोचना कर रहे थे और जो पाकिस्तान के अहमदी समुदाय जैसे अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे थे.