यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है. सांसदों के इस प्रस्ताव पर भारत कड़ी प्रतिक्रिया जता चुका है तो वहीं अब उसे फ्रांस का भी साथ मिला है. फ्रेंच राजनयिक से जुड़े सूत्र ने बताया कि सीएए भारत का आतंरिक मामला है. यह बात हम कई मौके पर कह चुके हैं.
बता दें कि फ्रांस का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य देश है. इससे पहले भारत ने यूरोपीय संघ (EU) से कहा है कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है. इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है. हम उम्मीद करते हैं कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले सही मूल्यांकन करेंगे और हमारे संपर्क में रहेंगे.
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बता दें, सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है. सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया के मोर्चे पर भी इस कानून को लेकर एक तीखी बहस छिड़ी है. यूरोपियन यूनियन में इस कानून पर चर्चा के लिए प्रस्ताव आया, जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है. इस वैश्विक संगठन के अलावा भी मलेशिया, तुर्की समेत कई ऐसे देश हैं जिन्होंने इसका विरोध किया है. वहीं अमेरिका, फ्रांस जैसे बड़े देशों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है.
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दूसरी ओर, यूरोपीय संघ के प्रवक्ता का कहना है कि यूरोपीय संसद की ओर से व्यक्त किए गए मसौदे और राय यूरोपीय संघ की आधिकारिक स्थिति को बयां नहीं करते हैं. यूरोपीय संघ के प्रवक्ता विर्गिनी बट्टू हेनरिक्सन ने 'इंडिया टुडे' से कहा, यूरोपीय संसद इस कानून (सीएए) पर चर्चा करने की योजना बना रही है. भारत का सुप्रीम कोर्ट फिलहाल इस कानून की संवैधानिकता पर विचार कर रहा है.
ईयू के प्रवक्ता ने कहा, अपनी प्रक्रिया के तहत यूरोपीय संसद ने एक मसौदा प्रस्ताव जारी किया है. यह जानना जरूरी है कि यह महज मसौदा है जिसे यूरोपीय संसद के अलग-अलग राजनीतिक समूहों ने पेश किया है. हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह यूरोपीय संघ की स्थिति को नहीं दर्शाता है. ब्रसेल्स में 13 मार्च को भारत के साथ 15वां सम्मेलन होना है. इसमें रणनीतिक भागीदारी पर चर्चा होगी. भारत यूरोपीय संघ के लिए एक अहम भागीदार देश है.