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इक्वाडोर में राष्ट्रपति की हत्या की कोशिश, कार पर पत्थर फेंके, चलाई गईं गोलियां

इक्वाडोर के राष्ट्रपति नोबोआ पर जिस समय यह हमला किया गया. उस समय वह एक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन करने जा रहे थे. उनके काफिले को 500 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया और पथराव करना शुरू कर दिया.

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इक्वाडोर के राष्ट्रपति की कार पर हमला (Photo: Screengrab)
इक्वाडोर के राष्ट्रपति की कार पर हमला (Photo: Screengrab)

दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर के राष्ट्रपति डेनियल नोबोआ (Daniel Noboa) पर कैनार इलाके में जानलेवा हमला होने की खबर है. उग्र भीड़ ने उनके काफिले पर पथराव किया. उनकी कार को घेरने की कोशिश की और उस पर हमला किया गया. कार पर गोलियां चालने के भी आरोप हैं. इस हमले में राष्ट्रपति को कोई चोट नहीं पहुंची है.

इक्वाडोर सरकार के एक शीर्ष मंत्री का कहना है कि राष्ट्रपति को जान से मारने की कोशिश की गई. उनकी कार क्षतिग्रस्त हो गई है. गाड़ी पर गोलियों के निशान भी है.

पर्यावरण एवं ऊर्जा मंत्री इनेस मैनजेनो ने राष्ट्रपति की हत्या के प्रयास को लेकर औपचारिक रिपोर्ट दर्ज की है. उनका कहना है कि नोबोआ के काफिले पर लगभग 500 लोगों ने पथराव किया. इस मामले में पांच लोगों को डिटेन किया गया है. 

मैनजेनो ने कहा कि राष्ट्रपति की कार पर फायरिंग, पथराव और सार्वजनिक संपत्तियो को नष्ट करना आपराधिक कृत्य है. हम ऐसा होने नहीं दोंगे. 

नोबोआ के ऑफिस का कहना है कि जिन लोगों को अरेस्ट किया गया है. उन पर आतंकवाद और हत्या के प्रयास के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, अभी यह सत्यापित नहीं हो सका है कि क्या प्रोटेस्ट के दौरान राष्ट्रपति की कार पर गोलियां चलाई गई या नहीं. 

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इस हमले के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति नोबोआ ने कहा कि उनकी सरकार इस तरह के हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगी. उन लोगों के बुरे उदाहरण का पालन न करें, जो हमें आपके साथ इस आयोजन में शामिल होने से रोकना चाहते थे और जिन्होंने हम पर हमला करने की कोशिश की. नए इक्वाडोर में ऐसे हमलों को स्वीकार नहीं किया जाएगा और कानून सभी पर लागू होता है.

इक्वाडोर में क्यों हो रहा है प्रोटेस्ट?

इक्वाडोर में फ्यूल सब्सिडी खत्म करने को लेकर उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर सब्सिडी खत्म करने के फैसले के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. राष्ट्रपति डेनियल नोबोआ ने सितंबर में डीजल सब्सिडी हटाने का आदेश जारी किया था.

सरकार का कहना है कि सब्सिडी खत्म करने से हर साल लगभग 1.1 अरब डॉलर की बचत होगी, जिसे छोटे किसानों और ट्रांसपोर्ट कर्मियों को मुआवजा देने में इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन आदिवासी संगठनों और छोटे किसानों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि डीजल महंगा होने से खेती की लागत बढ़ेगी और साथ ही ट्रांसपोर्ट का किराया भी बढ़ेगा. इससे गरीबों पर ज्यादा बोझ पड़ेगा.

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