यूरोपीय देश डेनमार्क स्कूलों और यूनिवर्सिटी में बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है. डेनमार्क में सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर पहले से ही पाबंदी है. बुधवार को सरकार ने कहा कि अब वो इस बैन को स्कूलों और यूनिवर्सिटी में भी लागू करने के लिए प्रस्ताव ला रही है. विधेयक अगर पास होता है तो यूरोपीय देश के स्कूलों और यूनिवर्सिटी में इस्लामिक पहनावे बुर्का और हिजाब पर बैन लग जाएगा.
प्रवासन और एकीकरण मंत्री रासमस स्टोकलुंड ने एक बयान में कहा, 'बुर्का, नकाब या ऐसा कोई भी पहनावा जो लोगों का चेहरा ढकता है, डेनमार्क की क्लासेज में उसकी कोई जगह नहीं है.'
उन्होंने आगे कहा, 'चेहरा ढकने को लेकर सार्वजनिक स्थानों पर पहले से ही बैन है और यह स्वाभाविक रूप से शैक्षणिक संस्थानों में भी लागू होना चाहिए.'
अगस्त 2018 में, डेनमार्क ने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और नकाब जैसे पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी पहनावे पर बैन लगा दिया था, जिसके उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान है.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और इस्लामिक समूहों ने इस प्रतिबंध की आलोचना करते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया है और कहा है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और महिलाओं की पसंद की आजादी का उल्लंघन करता है.
वहीं समर्थकों का तर्क है कि इससे प्रवासी पृष्ठभूमि वाले मुसलमानों को डेनमार्क के समाज में बेहतर ढंग से घुलने-मिलने में मदद मिलती है.
स्टोकलुंड ने कहा, 'इस विधेयक के जरिए हम विशेष रूप से प्रवासी पृष्ठभूमि की लड़कियों और महिलाओं को यह बहुत साफ संदेश दे रहे हैं कि हम सम्मान-आधारित संस्कृति और पुराने मानदंडों के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनके साथ हैं.'
लिबरल पार्टी (वेंस्ट्रे) के प्रवक्ता हान्स एंडरसन ने तर्क दिया, 'यह डेनमार्क की परंपराओं के खिलाफ है कि शिक्षक पढ़ा रहे हैं और उन्हें अपनी छात्राओं का चेहरा ही न दिखे...लड़कियों और महिलाओं का पूरी तरह से ढका होना बिल्कुल सही नहीं है.'
यह विधेयक फरवरी में डेनमार्क की संसद में पेश किया जाना तय है. इस बीच, 11 दिसंबर को ऑस्ट्रिया की संसद ने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून लागू कर दिया.
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने जून में कहा था कि वो हिजाब पर लगे बैन को शैक्षणिक संस्थानों तक बढ़ाना चाहती हैं और यहां तक कि शिक्षा परिसरों से प्रार्थना कक्ष (प्रेयर रूम) हटाने पर भी विचार कर रही हैं. उन्होंने इसके पीछे सामाजिक नियंत्रण और दमन संबंधी चिंताएं बताई थीं.
सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी की नेता फ्रेडरिकसेन ने कहा कि पूरे चेहरे को ढकने वाले पहनावे पर सीमित प्रतिबंध लागू करना उनकी सरकार की एक गलती थी.
उन्होंने पहले कहा था, 'कानून में ऐसी खामियां हैं जिससे डेनमार्क के शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिमों के सामाजिक नियंत्रण और महिलाओं के दमन की इजाजत मिल रही है. आपको आस्था रखने और अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन लोकतंत्र को प्राथमिकता मिलती है.'