डेनमार्क की एक अदालत ने गुरुवार को 29 साल पुराने हथियार तस्करी मामले में शामिल होने के आरोपी नील्स होल्क उर्फ किम पीटर डेवी के के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध को खारिज कर दिया. डेवी पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हथियार गिराने के मामले में वांछित है. हालांकि इससे पहले डेनमार्क की सरकार पुरुलिया मामले में मुख्य आरोपी डेवी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार की याचिका को खारिज करती आई है.
17 दिसंबर, 1995 की रात को, एक लातवियाई एंटोनोव एएन-26 विमान ने भारतीय हवाई क्षेत्र में उड़ान भरी और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के जौपुर गांव के ऊपर हथियारों का जखीरा गिराया. यह खेप कथित तौर पर पश्चिम बंगाल के एक विद्रोही समूह के लिए थी. कथित तौर पर किम डेवी इस ऑपरेशन के पीछे का मास्टरमाइंड था.
भारत कई सालों से कर रहा है प्रत्यर्पण की मांग
भारत पिछले कई सालों से भारतीय अदालत में मुकदमा चलाने के लिए डेवी के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है. हालांकि, डेनमार्क की अदालत ने भारत के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसे भारत भेजना डेनमार्क के प्रत्यर्पण अधिनियम का उल्लंघन होगा क्योंकि उसे भारत में प्रताड़ना और अन्य अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है.
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सरकारी अभियोजक एंडर्स रेचेंडोर्फ ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि इस निर्णय के खिलाफ अपील की जाएगी या नहीं. डेवी के वकील जोनास क्रिस्टोफ़रसेन के अनुसार, भारत द्वारा प्रदान की गई गारंटी वैध नहीं थी. क्रिस्टोफ़रसेन ने रॉयटर्स को बताया, "सरकारी अभियोजक और भारत के बीच शर्तों पर बातचीत करते हुए छह साल हो गए हैं. अब अदालत ने कहा है कि उसकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती."
डेवी ने पहले डेनमार्क की एक अदालत में स्वीकार किया था कि वह दिसंबर 1995 में पश्चिम बंगाल में हथियारों की तस्करी करने वाले कार्गो विमान में छह अन्य लोगों के साथ सवार था. उसने यह भी स्वीकार किया कि हथियार विद्रोही आंदोलन आनंद मार्ग से जुड़े लोगों के लिए थे.
क्या है पुरुलिया हथियार गिराने का मामला?
17 दिसंबर, 1995 को एंटोनोव एएन-26 विमान ने जौपुर में एक खेप गिराई. इसमें सैकड़ों एके-47 राइफलें, एंटी-टैंक ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर और 25,000 से ज़्यादा राउंड गोला-बारूद शामिल थे, जो कथित तौर पर उग्रवाद के इतिहास से ताल्लुक रखने वाले सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन आनंद मार्ग के लिए थे.
ब्रिटिश सेना के पूर्व अधिकारी और हथियार डीलर पीटर ब्लीच के नेतृत्व में चालक दल द्वारा संचालित इस विमान को 22 दिसंबर, 1995 को भारतीय वायु क्षेत्र से बाहर निकलने के प्रयास के दौरान भारतीय वायु सेना के जेट विमानों ने रोक लिया था. पांच लातवियाई नागरिकों और ब्लीच सहित चालक दल को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया.
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भाग गया था डेवी
मुख्य आरोपी डेवी हवाई अड्डे से भागकर गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा. उसके बाद के बयानों के अनुसार, उसने हवाई अड्डे के अधिकारियों को रिश्वत दी और नेपाल भाग गया और बाद में डेनमार्क वापस आ गया. डेवी ने यह भी दावा किया कि हथियार गिराना पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट सरकार से आनंद मार्ग के सदस्यों की रक्षा के लिए था.
किम डेवी और पीटर ब्लीच दोनों ने आरोप लगाया कि भारतीय अधिकारियों को हथियारों की इस गिरावट के बारे में पहले से पता था, जो बंगाल में कम्युनिस्ट शासन को उखाड़ फेंकना चाहते थे. कुछ सिद्धांत यह भी बताते हैं कि किम डेवी सीआईए का 'डर्टी एसेट' था और सीआईए के साथ उसके संबंधों के कारण उसे डेनिश अधिकारियों से सुरक्षा मिली थी.