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बांग्लादेश में ‘बाउल’ गायक की गिरफ्तारी पर जोरदार विरोध, कट्टरपंथी हमले बढ़ने की आशंका

बांग्लादेश में मशहूर बाउल गायक अबुल सरकार की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों पर हालिया हमलों के बाद बुद्धिजीवियों, कलाकारों और नागरिक समाज में नाराजगी बढ़ गई है. 250 से अधिक प्रतिष्ठित हस्तियों ने धार्मिक उग्रवाद, हिंसा और प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है.

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बांग्लादेश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस
बांग्लादेश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश में मशहूर 'बाउल' गायक अबुल सरकार की गिरफ्तारी के बाद देश में चिंता और विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. सरकार पर लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने और हिंसा भड़काने के आरोप लगे, जिसके आधार पर पुलिस ने अबुल सरकार को पश्चिमी मदारीपुर के एक संगीत कार्यक्रम से गिरफ्तार किया और उसी दिन अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया.

इस घटना के बाद कई इलाकों में बाउल समुदाय और समर्थकों पर हमले की खबरें सामने आईं. ढाका के बाहरी इलाके में तौहीदी जनता नाम के समूह ने कलाकारों पर हमला कर दिया, जिसमें चार लोग गंभीर रूप से घायल हुए. इसके बाद देशभर में बुद्धिजीवियों, छात्रों, लेखकों और सांस्कृतिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए.

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सोमवार को जारी एक बयान में 250 से अधिक प्रसिद्ध नागरिकों, जिनमें शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और कलाकार शामिल हैं उन्होंने कहा कि जुलाई 2024 में शेख हसीना सरकार के सत्ता से हटने के बाद कट्टरपंथ और धार्मिक उग्रवाद में तेज बढ़ोतरी हुई है. बयान में आरोप लगाया गया कि कुछ समूह खुद को धर्म का एकमात्र संरक्षक बताकर पूरे देश में डर और दमन का माहौल बना रहे हैं.

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200 से अधिक मजार तोड़े गए, कई कलाकारों और फकीरों पर हमले

इस बयान में दावा किया गया कि हाल के महीनों में 200 से अधिक मजार तोड़े गए, कई कलाकारों और फकीरों को सड़क पर अपमानित किया गया, महिलाओं को कपड़ों और आवाजाही को लेकर परेशान किया गया, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों गीत, नृत्य, नाटक, खेल पर हमले किए गए.

आलोचकों का कहना है कि कानून-व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियां प्रभावी कदम नहीं उठा रही हैं, बल्कि कई मामलों में चुप रहकर हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं. राइट्स ग्रुप ASK और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश ने भी हालिया घटनाओं को धार्मिक सद्भाव पर हमला बताया और त्वरित कार्रवाई की मांग की.

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कार्यकर्ताओं ने "धार्मिक फासीवाद" बढ़ने की चेतावनी दी

कवि और कार्यकर्ता फरहाद मजहर ने ढाका में एक प्रदर्शन के दौरान कहा कि यह स्थिति "धार्मिक फासीवाद" की ओर बढ़ने की चेतावनी है. वहीं अंतरिम सरकार के सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार मोस्तफा सरवर फारूकी ने स्वीकार किया कि मामला बेहद संवेदनशील है और सरकार इसे जिम्मेदारी से संभालने की कोशिश कर रही है.

हालांकि आलोचकों का कहना है कि केवल निंदा काफी नहीं है. हिंसा रोकने, अभियुक्तों को सज़ा दिलाने और कलाकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़ाई से कार्रवाई जरूरी है.

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