उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण करने के बाद से चीन के हाथ-पांव फूल गए हैं. एक ओर भारत, अमेरिका और जापान समेत पूरी दुनिया उत्तर कोरिया के खिलाफ खड़ी हो गई है, तो दूसरी तरफ चीन को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर अब वह क्या करे? इस हाइड्रोजन परीक्षण से 6.3 की तीव्रता का भूकंप तक आ गया. सिर्फ जापान ही नहीं, बल्कि उत्तर कोरिया से सटे चीनी इलाकों में भी लोगों ने इसके झटके महसूस किए.
जहां एक तरफ ब्रिक्स समिट शुरू होने से पहले रविवार दोपहर को उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण करने से ड्रैगन अमेरिका समेत दुनिया के दूसरे देशों के निशाने पर आ गया है, वहीं दूसरी ओर उसे खुद उत्तर कोरिया के परमाणु जखीरों से डर लगने लगा है. चीन को उत्तर कोरिया की ओर से परमाणु हमले का डर नहीं है, बल्कि इस बात का डर है कि कहीं परमाणु रिसाव न होने लग जाए. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक अगर उत्तर कोरिया के परमाणु संयंत्रों से रिसाव हुआ, तो इसकी चपेट में चीन भी आ जाएगा. हालांकि अभी तक उत्तर कोरिया में परमाणु रिसाव की कोई घटना सामने नहीं आई है.
अब चीन को समझ में नहीं आ रहा है कि वह उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार का जखीरा बढ़ाने से रोके या नहीं? हालांकि दुनिया के देशों के गुस्से से बचने के लिए चीन ने उत्तर कोरिया की इस करतूत की निंदा की है. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण को लेकर चीन को जमकर लताड़ लगाई है. ट्रंप ने ट्वीट किया कि उत्तर कोरिया एक दुष्ट राष्ट्र है, जो बहुत बड़ा खतरा बन गया है और यह चीन के लिए शर्मनाक है. चीन उसकी मदद करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन बहुत कम सफल हो रहा है. ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया सिर्फ सैन्य हमले की भाषा ही समझता है.
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अगर अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर हमला किया, तो चीन उसका (उत्तर कोरिया) हरहाल में साथ देगा. इससे अहम बात यह है कि अमेरिकी हमले से उत्तर कोरिया में परमाणु विस्फोट भी हो सकता है. इससे भारी तबाही मच सकती है. फिलहाल ब्रिक्स समिट में चीन की जमकर किरकिरी होना तय हैं. इस समिट में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चीन पहुंच चुके हैं. इसमें ब्रिक्स देशों के अलावा मिस्र, केन्या, ताजिकिस्तान, मैक्सिको और थाईलैंड भी बतौर अतिथि शामिल हो रहे हैं. ऐसे में उत्तर कोरिया की करतूत का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है.