कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते संकट और वर्तमान स्थिति को देखते हुए आम सहमति नहीं बना पाने की सूरत में पाकिस्तान की मेजबानी में होने वाले 19वें सार्क (SAARC) शिखर सम्मेलन की बैठक को फिलहाल के लिए टाल दिया गया है.
महामारी के दौर में SAARC मंत्रिपरिषद की गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक के दौरान शिखर सम्मेलन के आयोजन को लेकर एजेंडा का हिस्सा था. इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर देशों को लगता है कि शिखर सम्मेलन के लिए यह उचित समय नहीं है.
नहीं बन सकी सहमति
सूत्र ने बताया कि ज्यादातर देशों ने महसूस किया कि सभी देश इस समय कोरोना महामारी के निपटने में व्यस्त हैं, ऐसे में शिखर सम्मेलन के लिए यह सही समय नहीं है. एक सूत्र ने कहा कि प्रस्ताव सर्वसम्मति की कमी के कारण गिर गया.
पाकिस्तान 2016 के बाद से ही अपने देश में आयोजित होने वाले सार्क शिखर सम्मेलन के आयोजन पर लगातार जोर दे रहा है, लेकिन भारत ने उरी, पठानकोट के आतंकी हमलों और फिर पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 सैनिकों के मारे जाने के बाद इस सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला लिया.
शिखर सम्मेलन को लेकर भारत का कहना है कि पाकिस्तान को एक ऐसा माहौल बनाना होगा जो शिखर सम्मेलन की बैठक के लिए अनुकूल हो. विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधा.
भारत ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया
सार्क काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की वार्षिक अनौपचारिक बैठक में भारत ने पाकिस्तान के समक्ष आतंकवाद का मुद्दा उठाया. साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सार्क के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां सीमापार से आतंकवाद, व्यापार में बाधा, कनेक्टिविटी में रुकावट हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए.
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही सदस्य देशों से आग्रह किया, कि वे सामूहिक रूप से आतंकवाद के संकट को हराने पर प्रतिबद्धता जताएं, जो दक्षिण एशिया में सामूहिक सहयोग और समृद्धि के सार्क के उद्देश्य को बाधित करता है, जिसमें बलों को समर्थन देना और आतंकवाद के माहौल को प्रोत्साहित करना शामिल है.
सार्क काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की वार्षिक अनौपचारिक बैठक की अध्यक्षता नेपाल ने की, जिसमें सार्क के सभी सदस्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हुए.
अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में अध्यक्ष (नेपाल) ने वैश्विक महामारी द्वारा उत्पन्न उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया.
पाकिस्तान ने नहीं किया कश्मीर का जिक्र
हालांकि खास बात यह है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, जो जगह-जगह अनावश्यक कश्मीर का मुद्दा उठाते रहते हैं, लेकिन गुरुवार को अपने सात मिनट के लंबे भाषण के दौरान कश्मीर को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की.
पिछले दिनों एससीओ में एनएसए-स्तर के बैठक के दौरान पाकिस्तान ने नए "काल्पनिक" राजनीतिक मानचित्र को दिखाया, जिसके कारण भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मंच से बाहर चले गए, इस बार कुरैशी ने ऐसा कुछ नहीं किया. पाक ने बैकग्राउंड में कोई नक्शा नहीं रखा.
हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि पाक विदेश मंत्री चाहते थे कि बैठक सुचारू रूप से संपन्न हो, ताकि बैठक के दौरान वह पाकिस्तान के "अगले शिखर सम्मेलन की जल्द से जल्द मेजबानी" पर सहमति हासिल करने के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा सकें. हालांकि सार्क मंत्रिस्तरीय बैठक के विपरीत, पाकिस्तान ने सीआईसीए में विशेष रूप से आयोजित एक और मंत्रिस्तरीय बैठक में कश्मीर का मुद्दा उठा दिया.
भारत ने पाकिस्तान की ओर से कश्मीर पर की गई टिप्पणी पर जोरदार अंदाज में जवाब दिया गया और इसे पाकिस्तान की ओर से भारत के अंदरुनी मामलों में हस्तक्षेप करार दिया.