उत्तर प्रदेश के कटेहरी विधानसभा के उपचुनाव में राजनीति के बड़े बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. प्रत्याशियों का चेहरा भले ही वोटर्स के सामने है, लेकिन चुनाव में सपा भाजपा और बसपा के बड़े नेताओ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. सपा से शोभावती वर्मा, भाजपा से धर्मराज निषाद और बसपा से अमित वर्मा चुनाव मैदान में हैं. लेकिन इनकी चुनावी कमान पार्टी के बड़े नेताओ के हाथ में है.
CM आदित्यनाथ कटेहरी विधान सभा क्षेत्र में दो बार जनसभा कर चुके हैं
कटेहरी विधान सभा उपचुनाव की जिताने की ज़िम्मेदारी जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद उठा रखी है. वही उनके कैबिनेट के दो मंत्री स्वत्रंतदेव सिंह और दया शंकर मिश्र दयालु महीनों से लगातार कटेहरी विधान सभा में डेरा डाले हुए हैं. तो वही समय समय पर अन्य मंत्रियो का दौरा चलता रहता है. नामांकन सभा में पहुंचे सूबे के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कटेहरी विधान सभा को गोद लेने के घोषणा करते हुए प्रत्याशी धर्मराज निषाद को जिताने की अपील की थी. वहीं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ कटेहरी विधान सभा क्षेत्र में दो बार जनसभा कर चुके हैं. और कटेहरी की जनता को करोड़ो की सौगात भी दे चुके हैं. मंत्रियो के साथ साथ भाजपा संगठन के बड़े पदाधिकारी भी लगातार कटेहरी में ही सक्रिय हैं.
सपा से शिवपाल यादव और लालजी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर
समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी भले ही शोभावती वर्मा हों, लेकिन अम्बेडकरनगर के सपा सांसद लालजी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. क्योकि कटेहरी विधान सभा 2012 से उनकी कर्मभूमि बनी हुई है. हालांकि 2012 का चुनाव वह हार गए थे. लेकिन बावजूद इसके वह कटेहरी में डटे रहे और 2017 व 2022 का विधान सभा चुनाव जीतकर विधायक बने. अब उनके सांसद बनने के बाद कटेहरी सीट खाली हुई है. लालजी वर्मा अम्बेडकरनगर ज़िले के बड़े नेता हैं. बसपा सरकार में वह हर सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे. इसलिए उनके भी पहली बार अपनी पत्नी चुनाव लड़ाकर जितवाना किसी प्रतिष्ठा से कम नहीं है. इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव को पार्टी ने कटेहरी विधान सभा उपचुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है, और उन्हें चुनाव जिताने की ज़िम्मेदारी सौंपी है.
अपने खोई प्रतिष्ठा की तलाश में बसपा
बसपा ने भी ज़िले में पहली बार उपचुनाव में अपनी भागीदारी की है. प्रत्याशी के रूप में हाल ही में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद छोड़कर बसपा में शामिल हुए अमित वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. अम्बेडकरनगर कभी बसपा का गढ़ रहा है. और बार फिर से बसपा अपनी खोई ज़मीन तलाशने की कोशिश कर रही है. शायद इसलिए बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल लगातार कटेहरी में बने हुए हैं.