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UP: बकरीद पर 'बकरा केक' की एंट्री... इकोफ्रेंडली कुर्बानी का बना ट्रेंड

बकरीद पर इस बार इकोफ्रेंडली सोच का असर दिखा. वाराणसी समेत कई शहरों में मुस्लिम समाज के लोगों ने बकरे की कुर्बानी की जगह बकरा केक काटकर पर्व मनाया. बेकरी शॉप्स पर बकरे के फोटो वाले केक की जबरदस्त डिमांड रही. बच्चों और युवाओं ने चॉकलेट फ्लेवर केक को ज्यादा पसंद किया.

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'बकरा केक.'
'बकरा केक.'

बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का पर्व इस बार एक नए और इकोफ्रेंडली अंदाज में मनाया जा रहा है. पारंपरिक रूप से पशु कुर्बानी के लिए पहचाने जाने वाले इस पर्व पर अब मुस्लिम समाज के बीच एक नया ट्रेंड तेजी से उभर रहा है, वो है बकरा केक का. खास बात यह है कि ये ट्रेंड पशु हिंसा से दूरी और पर्यावरण के प्रति जागरूकता की सोच को बढ़ावा दे रहा है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी समेत देश के कई हिस्सों में इस बार बकरीद के मौके पर बकरे की जगह केक पर बकरे का फोटो बने केक काटने का चलन देखने को मिला. वाराणसी के भैरवनाथ इलाके में स्थित प्रिंस बेकरी के मालिक प्रिंस गुप्ता ने बताया कि इस बार बकरीद पर खासतौर से बकरे केक की जबरदस्त मांग रही. कई मुस्लिम परिवारों ने इस बार कुर्बानी की जगह बकरा केक काटकर पर्व मनाने का फैसला किया.

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बेकरी शॉप प्रिंस बेकर के मालिक प्रिंस गुप्ता ने बताया, केक की कीमत ₹400 से ₹1000 तक है और लोग इसे चॉकलेट, वनीला, स्ट्रॉबेरी और फ्रूट फ्लेवर में मंगवा रहे हैं. बच्चों के बीच चॉकलेट फ्लेवर की सबसे ज्यादा डिमांड है. वहीं, युवा वर्ग कस्टमाइज बकरे के फोटो वाले केक पसंद कर रहा है. दुकान पर पहुंचने वाले ग्राहकों में खासतौर से युवा और बच्चे शामिल हैं जो केक को लेकर काफी उत्साहित दिखे.

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वाराणसी

बेकरी पर पहुंचे नदीम हाशमी ने बताया कि वे इस बार अपने पूरे परिवार के साथ बकरा केक काटने जा रहे हैं, जिससे पर्व का जश्न भी होगा और किसी जीव की हत्या भी नहीं करनी पड़ेगी. यह तरीका न केवल नई सोच को बढ़ावा देता है, बल्कि पशु प्रेम और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में भी देखा जा रहा है.

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