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वो पहले हिंदू शेख, जिनका ओमान में था बोलबाला... कभी वहां के सुल्तान को भी देते थे कर्ज!

दुनिया में एक मात्र पर ऐसा हिंदू परिवार है, जिनके मुखिया को शेख की उपाधि मिली हुई थी. खुद ओमान के सुल्तान ने उन्हें ये उपाधि दी थी. कहा जाता है कि इस परिवार ने ओमान के सुल्तान को जरूरत पड़ने पर कभी कर्ज भी दिया था.

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ओमान में रहने भारतीय कारोबारी कनकसी खिमजी को मिली थी शेख की उपाधि (Photo - Pexels)
ओमान में रहने भारतीय कारोबारी कनकसी खिमजी को मिली थी शेख की उपाधि (Photo - Pexels)

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओमान दौरे पर हैं. पीएम भारत के गुजरात से आते हैं और इसी राज्य से ओमान गए एक कारोबारी ने ओमान में इतनी प्रतिष्ठा कमाई कि उन्हें दुनिया के एकमात्र हिंदू शेख की उपाधि दी गई थी. 

यहां बात हो रही है ओमान के खिमजी रामदास ग्रुप (केआर ग्रुप) के निदेशक शेख कनकसी खिमजी का. कनकसी खिमजी दुनिया के एक मात्र ऐसे हिंदू हुए जिन्हें शेख की उपाधि दी गई थी.  18 फरवरी 2021 को 85 वर्ष की आयु में कनकसी खिमजी का निधन हो गया था. 

कनकसी खिमजी को मिली थी हिंदू शेख की उपाधि
दिवंगत हिंदू शेख खिमजी परिवार के मुखिया थे. यह परिवार ओमान की सबसे प्रतिष्ठित कारोबारी फैमिली है और इनकी जड़ भारत के गुजरात से जुड़ी हैं. फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनकसी खिमजी का जन्म 1936 में मस्कट में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई में पूरी की थी. खिमजी ने लगभग पांच दशकों तक केआर ग्रुप के कारोबार का नेतृत्व किया.

उन्हें ओमान के लोगों के सामाजिक और अर्थव्यवस्था के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए ओमान की नागरिकता प्रदान की गई. इसके अलावा, खिमजी को शेख की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिससे वे पूरे इस्लामी जगत में एकमात्र हिंदू शेख बन गए.

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गुजरात से ओमान गया था खिमजी परिवार 
कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कनकसी खिमजी के दादा रामदास ठक्करसे भारत के गुजरात से ओमान आए थे और यहां अपने व्यापार का प्रसार किया था. कहा जाता है कि खिमजी परिवार के पूर्वज 1800 के शुरुआती दशक में ही नाव व्यापारी के रूप में पहली बार ओमान के सुर में उतरे थे. तब से इस परिवार का ओमान से पारिवारिक रिश्ता है.

यह परिवार भारत से अनाज, चाय और मासाला लाते थे और ओमान से खजूर, नींबू और लोबान वापस लेकर जाते थे. 1870 में ठक्करसे ओमान में अपने बढ़ते व्यापार को देखते हुए इसे भारत से मस्कट शिफ्ट कर लिया. उनके बेटे रामदास खिमजी ने बाद में ओमान में उनके व्यापार को वैश्विक स्तर पर बढ़ाया. 

कभी इस परिवार ने ओमान के सुल्तान को भी कर्ज दिया था
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जब खिमजी परिवार ओमान में पैर जमा रहा था, तब वहां कोई तेल के भंडार नहीं मिले थे. उस वक्त खिमजी परिवार ने जरूरत पड़ने पर ओमान के सुल्तान सईद को कर्ज भी दिया था. जब सुल्तान काबूस शासक बने तो उन्होंने खिमजी परिवार को ओमान की नागरिकता प्रदान की. 

1970 में अपने दादा और परदादा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए कनकसी खिमजी ने अपने पिता गोकलदास से पारिवारिक कारोबार की सारी जिम्मेदारी अपने हाथो में ले ली. उन्होंने ओमान के विकास में अहम भूमिका निभाई. खिमजी परिवार और खासकर कनकसी भाई के योगदान से प्रभावित होकर ओमान के सुल्तान ने उन्हें शेख की उपाधि दी.

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दुनिया भर में अलग-अलग सेक्टर में फैला है इनका कारोबार
दिवंगत भारतीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने कहा था कि खिमजी खाड़ी देशों में भारत के सच्चे राजदूत थे.  1870 में स्थापित, केआर ग्रुप अलग-अलग सेक्टर के व्यवसायों औमें 600 से अधिक ग्लोबल ब्रांडों को रिप्रेजेंट  करता है. 

इस कंपनी का मुख्यालय मस्कट में है. इस कंपनी के कमोडिटी और शिपिंग से संबंधित परिचालन यूएई में हैं. साथ ही प्रॉक्टर एंड गैंबल, रोलेक्स, केलॉग्स और ब्रिटानिया के साथ साझेदारी के माध्यम से भारत में भी इनकी मजबूत पकड़ है.

खिमजी ओमान में भारतीय शिक्षा संस्थानों के संस्थापकों में से एक थे. उन्होंने 1975 में मस्कट में पहला अंग्रेजी माध्यम का भारतीय स्कूल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह ओमान क्रिकेट क्लब के संस्थापक अध्यक्ष हैं.

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