उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. ये रेस्क्यू ऑपरेशन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त बचाव अभियान के चलते 17 दिन बाद ऑपरेशन में सफलता हाथ लगी. मजदूरों को 60 मीटर के बचाव शॉफ्ट में स्टील के पाइप से निकाला गया. ऑपरेशन के दौरान ऑगर मशीन में खराबी के बाद रैट माइनर्स की मदद ली गई. जिसके बाद एनडीआरएफ की टीम 41 मजदूरों तक पहुंच पाई. इस मिशन के हीरो विदेशी टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स हैं. उनकी सोशल मीडिया पर काफी तारीफ हो रही है.
हादसे के पीछे का कारण स्थानीय लोग बाबा बौखनाग की नाराजगी को बता रहे हैं. उनका कहना है कि यहां पहले बाबा बौखनाग का मंदिर हुआ करता था. जिसे सुरंग का निर्माण करने वाली कंपनी ने हटा दिया. हादसे के कुछ दिन बाद सुरंग के मुहाने पर एक अस्थायी मंदिर बनाया गया. टीम ने ऑपरेशन में उतरने से पहले बाबा का आशीर्वाद लिया. 17वें दिन रेस्क्यू ऑपरेशन की सुबह मिशन के हीरो अर्नोल्ड डिक्स ने खुद भी बाबा बौखनाग की पूजा की. इसके बाद मिशन में सफलता मिल गई. डिक्स द्वारा पूजा किए जाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.
मिशन की सफलता के बाद अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, 'हम शांत थे और हम जानते थे कि वास्तव में हमें क्या करना है. हमने एक अद्भुत टीम के रूप में काम किया है. भारत के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर, सेना, सभी एजेंसियां... इस सफल मिशन का हिस्सा बनना खुशी की बात है.' अर्नोल्ड डिक्स की भारत में काफी तारीफ की जा रही है. लोग उन्हें हीरो बता रहे हैं. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने भी उनकी सराहना की है.
अर्नोल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. उन्हें अपने काम के लिए 2011 में 'एलन नेलैंड ऑस्ट्रेलेशियन टनलिंग सोसाइटी' के बाई-एनुएल अवॉर्ड से नवाजा गया था. सुरंगों में फायर सेफ्टी बढ़ाने के उनके प्रयासों को काफी महत्व दिया जाता है. 2022 में उन्हें अमेरिका की नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन ने 'कमिटी सर्विस अवॉर्ड' से सम्मानित किया था. ये अवॉर्ड उन्हें सुरंग की सुरक्षा के लिए कोड और मानकों को विकसित करने के लिए दिया गया था.
जब-जब लोगों की उम्मीदें टूटीं, तब-तब अर्नोल्ड डिक्स ने हिम्मत बांधी. वो इस दौरान काफी संयमित दिखे. उनकी भाषा और बॉडी लैंग्वेज से भी इस बात का पता चलता है. उन्होंने एक वीडियो में कहा कि हम पहाड़ से अपने बच्चे मांग रहे हैं, वो ऐन मौके पर हमारे साथ खेल कर देता है, लेकिन हमें ये उम्मीद बनाए रखनी है कि वो हमें बच्चों को सौंप देगा. उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति और पर्यावरण से यही सीखना है.
उनके पास कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त है, जिनमें कानूनी, राजनीतिक, नैतिक और तकनीकी रिस्क और अंडरग्राउंड कन्स्ट्रक्शन से संबंधित पर्यावरणीय रिस्क शामिल हैं. वो एक काउंसलर और साइंटिस्ट के रूप में क्वालिफाइड हैं. साथ ही ऑस्ट्रेलिया के हाई कोर्ट के बैरिस्टर के रूप में रजिस्टर्ड वकील हैं. जिंदगी की उनकी यात्रा उन्हें पर्यावरण, विज्ञान, कानून, नैतिकता, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों के साथ इंजीनियरिंग और अंडरग्राउंड कन्स्ट्रक्शन की दुनिया में भी ले गई.
उनके लिंक्डइन प्रोफाइल से पता चलता है कि अर्नोल्ड ने अपनी स्कूली शिक्षा ब्रिटेन में हैलेबरी से पूरी की है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से लीगल प्रोफेशनल और कॉर्पोरेट लॉ के साथ कंबाइंड जियोटेक्निकल और इंजीनियरिंग साइंसेज में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है.