scorecardresearch
 

बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे रवींद्रनाथ टैगोर

साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय देने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे मानवतावादी विचारक थे जिन्हें प्रकृति का सानिध्य काफी पसंद था.

Advertisement
X

साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय देने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे मानवतावादी विचारक थे जिन्हें प्रकृति का सानिध्य काफी पसंद था.

उनका मानना था कि छात्रों को प्रकृति के सानिध्य में शिक्षा हासिल करनी चाहिए. अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की थी. टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया.

बचपन से कुशाग्र बुद्धि के रवींद्रनाथ ने देश और विदेशी साहित्य, दर्शन, संस्कृति आदि को अपने अंदर समाहित कर लिया था और वह मानवता को विशेष महत्व देते थे. इसकी भलक उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है.

साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना "गीतांजलि" के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

Advertisement

समीक्षकों के अनुसार उनकी कृति "गोरा" कई मायनों में अद्भुत रचना है. इस उपन्यास में ब्रिटिश कालीन भारत का जिक्र है. राष्ट्रीयता और मानवता की चर्चा के साथ पारंपरिक हिन्दू समाज और ब्रह्म समाज पर बहस के साथ विभिन्न प्रचलित समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है.{mospagebreak}

चर्चित रचनाकार महीप सिंह के अनुसार गोरा बेहतरीन कृति है जिसमें अंग्रेज दंपत्ति की संतान हिन्दू परिवार में पलती है. उसके माता पिता नहीं हैं और उसे नहीं मालूम है कि वह ईसाई है. वास्तविकता की जानकारी मिलने पर वह परेशान हो जाता है और इसके साथ ही उसके विचार में व्यापक बदलाव आ जाता है.

भारत पाकिस्तान विभाजन पर केंद्रित ‘‘पानी और पुल ’’ जैसी चर्चित कहानी लिखने वाले महीप सिंह के अनुसार यह अपने समय को दर्शाने वाली बेहतरीन कृति है जिसमें धर्म, समाज जैसे मुद्दों से ज्यादा मानवीय संबंधों पर जोर दिया गया है.

गोरा हिंदू, ईसाई आदि बातों को व्यर्थ मानते हुए मानवीय संबंधों को महत्वपूर्ण मानने लगता है. गुरदेव सही मायनों में विश्वकवि होने की योग्यता रखते हैं. उनके काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलायी.{mospagebreak}

टैगोर की रचनाएं बांग्ला साहित्य में नयी बहार लेकर आयी. उन्होंने एक दर्जन से अधिक उपन्यास लिखे. इन रचनाओं में चोखेर बाली, घरे बाहिरे, गोरा आदि शामिल हैं. उनके उपन्यासों में मध्यम वर्गीय समाज विशेष रूप से उभर कर सामने आया है.

Advertisement

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं में उनकी रचनात्मक प्रतिभा मुखर हुई है. उनकी कविताओं में प्रकृति से अध्यात्मवाद तक के विभिन्न विषयों को बखूबी उकेरा गया है.

साहित्य की शायद ही कोई विधा हो जिनमें उनकी रचना नहीं हों. उन्होंने कविता, गीत, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी में अपने सशक्त लेखन का परिचय दिया. उनकी कई कृतियों का अंग्रेजी में भी अनुवाद किया गया. अंग्रेजी अनुवाद के बाद पूरा विश्व उनकी प्रतिभा से परिचित हुआ.

सात मई 1861 को जोड़ासांको में पैदा हुए रवींद्रनाथ के नाटक भी अनोखे हैं. वे नाटक सांकेतिक हैं. बचपन से ही रवींद्रनाथ की विलक्षण प्रतिभा का आभास लोगों को होने लगा था. उन्होंने पहली कविता सिर्फ आठ साल में लिखी और केवल 16 साल की उम्र में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुयी थी.{mospagebreak}

उन्होंने दो हजार से अधिक गीतों की रचना की. रवींद्र संगीत बांग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है. हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत से प्रभावित उनके गीत मानवीय भावनाओं के विभिन्न रंग पेश करते हैं. गुरूदेव बाद के दिनों में चित्र भी बनाने लगे थे.

रवींद्रनाथ ने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएं की थी. सात अगस्त 1941 को उनका देहावसान हो गया.

Advertisement
Advertisement