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क्या लाल हो जाएगा समुद्र का रंग? वैज्ञानिकों का दावा - कभी दिखता था हरा, ये है बड़ी वजह

वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी के महासागरों के रंग आने वाले समय में लाल या बैंगनी हो जाएंगे . अभी यह नीला दिखाई देता है, जो किसी समय हरे रंग का था. इसके पीछे वैज्ञानिकों ने एक बड़ी वजह बताई है.

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क्या बदल जाएगा समुद्र का रंग (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)
क्या बदल जाएगा समुद्र का रंग (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)

पृथ्वी पर जीवन हमारे ग्रह के महासागरों के रंग से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है. जल रसायन और जीवन का प्रभाव पानी के रंग को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भविष्य में पृथ्वी के महासागर बैंगनी या लाल रंग के हो सकते हैं.

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हमारे ग्रह पर पानी वर्तमान में नीला दिखाई देता है, लेकिन कभी यह हरा था और संभवतः इसका रंग पुनः बदल सकता है. पृथ्वी के अधिकांश हिस्से में महासागर हैं. इस वजह से  अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी हल्का नीला दिखाई देता है. जापानी शोधकर्ताओं ने एक थ्योरी दी है कि ये विशाल जल निकाय कभी हरे थे.

कभी हरे दिखते थे हमारे महासागर
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, नेचर में प्रकाशित उनके अध्ययन में जापान के ज्वालामुखी द्वीप इवो जीमा के आस-पास के पानी का अवलोकन किया गया, जो एक प्रकार के ऑक्सीकृत लोहे के कारण हरे रंग का दिखाई देता है.

ये थी वजह 
ये शैवाल अनोखे हैं, क्योंकि इनमें न केवल विशिष्ट क्लोरोफिल वर्णक होता है, बल्कि फाइकोएरिथ्रोबिलिन (पीईबी) नामक एक दूसरा वर्णक भी होता है. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि पीईबी युक्त आनुवंशिक रूप से संशोधित आधुनिक नीले-हरे शैवाल हरे पानी में बेहतर ढंग से पनपते हैं.

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प्रकाश संश्लेषण और ऑक्सीजन की उत्पत्ति से पहले, पृथ्वी के महासागरों में घुला हुआ कम हो चुका लोहा (ऑक्सीजन की उपस्थिति के बिना जमा हुआ लोहा) मौजूद था. आर्कियन ईऑन (4 से 2.5 अरब साल पहले) में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के शुरू होने से ऑक्सीजन बनने लगा, इसके परिणामस्वरूप समुद्री जल में  लोहा ऑक्सीकृत होकर मिल गया.

ऑक्सीजन की उत्पत्ति के वक्त हरा हो गया था समुद्र का रंग
अध्ययन के कम्प्यूटर सिमुलेशन से यह भी पता चला कि प्रारंभिक प्रकाश संश्लेषण से उत्सर्जित ऑक्सीजन ने ऑक्सीकृत लौह कणों की इतनी उच्च सांद्रता उत्पन्न कर दी कि सतही जल का रंग हरा हो गया. एक बार जब महासागर के लौह भंडार पूरी तरह से ऑक्सीकृत हो गए, तो पृथ्वी के महासागरों और वायुमंडल में अनबाउंड ऑक्सीजन (O2) भरने लगी.

किसी ग्रह का हरा दिखना जीवन की उत्पत्ति के शुरुआती संकेत
नतीजतन, शोध से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकला कि दूर से देखे जाने वाले हल्के हरे रंग के ग्रह प्रकाश संश्लेषक जीवन के शुरुआती रूपों की मेजबानी करने के लिए प्रमुख दावेदार हैं. हाल ही में प्रकाशित जापानी शोधपत्र में बताया गया है कि हमारे महासागरों का रंग जल के रसायन विज्ञान और जीवन के प्रभाव से जुड़ा हुआ है.

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क्यों लाल या बैंगनी हो जाएगा पानी
सैद्धांतिक रूप से पृथ्वी पर बैंगनी महासागरों का अस्तित्व संभव है. यदि सल्फर का स्तर अत्यधिक बढ़ जाए, जो संभवतः ज्वालामुखीय गतिविधि में वृद्धि तथा वायुमंडलीय ऑक्सीजन में कमी के कारण हो - ऐसा वातावरण जो बैंगनी सल्फर बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देता है.

इस वजह से लाल हो सकता है समुद्र का रंग
इसके अलावा, महासागरों का लाल रंग अपनाना भी संभावना से परे नहीं है. तीव्र उष्णकटिबंधीय जलवायु में स्थलीय चट्टानों के टूटने से लाल-ऑक्सीकृत लौह कणों की प्रचुर मात्रा निकल सकती है, जो नदियों या हवा के साथ समुद्र में बहकर आ सकते हैं.

यह लाल ज्वार उत्पन्न करने के लिए फेमस एक विशेष प्रकार के शैवाल के व्यापक प्रभुत्व से भी उत्पन्न हो सकता है. ये लाल शैवाल आमतौर पर नाइट्रोजन जैसे उर्वरकों की उच्च सांद्रता वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं तथा अक्सर सीवर प्रणालियों के निकट समुद्रतटों के पास देखे जाते हैं.

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