भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे एक दिसंबर से ओवरराइटिंग वाले (काट कर दोबारा लिखे गए) चेकों को स्वीकार न करें और न ही इन्हें क्लियर करें. पहले ओवरराइटिंग वाले चेकों को स्वीकार न किए जाने की समयसीमा एक जुलाई से तय की गई थी.
आरबीआई ने एक दिसंबर से ओवरराइटिंग वाले चेकों को स्वीकार न करने के बारे में सर्कुलर निकाला है। इन नए नियमों का उद्देश्य धोखाधड़ी से बैंक खातों से पैसा निकालने पर रोक लगाना तथा चेकों की क्लियरिंग प्रक्रिया को तेज करना है.
इस बीच, निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने गत 28 जून को अपने ग्राहकों को भेजे एसएमएस में कहा था कि आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे चेक जिन पर राशि या नाम में बदलाव किया गया है और बेशक उसके बगल में खाताधारक के हस्ताक्षर भी हैं, को एक जुलाई से स्वीकार नहीं किया जाएगा.
एयरटेल ने कहा कि वह जल्द अपने ग्राहकों को इस बदली तारीख के बारे में सूचना देगी. आरबीआई ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों को नए नियमों के बारे में जागरुक करें. इन नियमों का उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकने के अलावा ऐसी जगहों पर चेक क्लियरिंग की प्रक्रिया को तेज करना है जहां चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) का इस्तेमाल किया जाता है.
सीटीएस के तहत फंड के स्थानांतरण के लिए क्लियरिंग हाउस को चेक की इमेज भेजी जाती है. संपर्क किए जाने पर आरबीआई प्रवक्ता ने कहा कि ओवरराइटिंग वाले चेकों पर रोक संबंधी अधिसूचना जारी की गई है. यह नई व्यवस्था एक दिसंबर, 2010 से लागू होगी, इसमें एक जुलाई का कोई उल्लेख नहीं है.
केंद्रीय बैंक ने इस साल फरवरी में चेकों में सुरक्षा संबंधी विशेषताएं बढ़ाने के लिए मानकीकरण पर सकरुलर जारी किया था. आरबीआई ने कहा है कि यदि खाताधारक ने चेक पर नाम या राशि गलत लिख दी है, तो उसे नया चेक जारी करना होगा.
हालांकि, तारीख गलत होने की स्थिति में चेक पर ओवरराइटिंग की जा सकती है. नए नियम उन क्लियरिंग हाउस के लिए लागू नहीं होंगे जो मैगनेटिक इंक कैरेक्टर रिकोगनिशन (एमआईसीआर) या नॉन एमआईसीआर प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं.