ज्योति बसु ने पहली बार चाय का जायका 21 बरस की उम्र में लिया था जब वह लंदन में थे क्योंकि इससे पहले पेशे से चिकित्सक उनके पिता निशिकांत बसु ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी थी.
बसु की अधिकृत जीवनी लेखिका सुरभि बनर्जी ने कहा कि 95 वर्षीय नेता के पिता ने उन्हें दो अन्य बच्चों के साथ फिल्म और नाटक देखने से भी रोके रखा था. बसु तब यहां प्रदर्शित होने वाली फिल्में अल्फ्रेड हिचकॉक की ‘ब्लैकमेल’, ‘द फेंटम ऑफ द ओपेरा’, ‘द ब्लू एंजल’ और ‘सिटी लाइट्स’ देखना चाहते थे लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके.
बसु के पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी सरकार ने वर्ष 1980 में सत्यजीत रॉय की ‘हीरक राजार देश’ और बंगाल में तुकबंदी वाली कविताएं रचने के प्रणेता सुकुमार रॉय के जीवन पर 1987 में एक वृत्तचित्र के निर्माण में आर्थिक मदद की थी. सुकुमार रॉय जाने माने फिल्मकार सत्यजीत रॉय के पिता थे.