भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना जताते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि ब्याज दरों में कमी से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. देश की आर्थिक वृद्धि दर 2011-12 में घटकर 6.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो इसका नौ बरस का निचला स्तर है.
आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव आर गोपालन ने कहा, ‘हम वृद्धि दर में बढ़ोतरी की संभावना देख रहे हैं. यदि ब्याज दरें घटती हैं, तो आर्थिक वृद्धि दर बढ़ेगी.’ गोपालन ने कहा कि रिजर्व बैंक 18 जून को नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों पर रुख तय करने से पहले मुद्रास्फीति की स्थिति और बाहरी कारकों पर विचार करेगा.
गोपालन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट तथा सोने के आयात में कमी से अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावनाएं बढ़ रही हैं. इन दो कारकों से चालू खाते के घाटे को नीचे लाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा जनवरी-मार्च की तिमाही में बचत दरों में भी सुधार हुआ है. लगातार दो वित्त वर्ष में 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2011-12 में घटकर 6.5 फीसदी रह गई.
विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट से आर्थिक वृद्धि दर घटी है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. गोपालन ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए सरकार को राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे जैसे मुद्दों से निपटना होगा.